Dhanteras 2022: पांच दिवसीय दीपावली पर्व की शुरूआत धनतेरस (Dhanteras 2022) (23 अक्टूबर 2022) से हो रही है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार धनतेरस पर माँ लक्ष्मी के साथ धन के देवता भगवान कुबेर की पूजा-अर्चना होती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान धन्वंतरी को विष्णु जी का अवतार माना जाता है, और इसी दिन उनका प्रकाट्य हुआ था. धनतेरस के दिन सोने, चांदी के सिक्के, आभूषण एवं बर्तनों, घर, गाड़ी एवं महंंगी वस्तुओं की खरीदारी की विशेष परंपरा है. वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर के आशीर्वाद से आय में बढ़ोत्तरी होती है, और पूरे वर्ष घर की तिजोरी भरी रहती है. अगर आप भी धनतेरस के दिन सोने चांदी के सिक्के, आभूषण अथवा कीमती वस्तुएं आदि खरीदते हैं तो शुभ मुहूर्त पर ही खरीदना ही लाभकारी होता है. आइये जानें धनतेरस की पूजा एवं सोने-चांदी की खरीदारी के शुभ मुहूर्त एवं कैसे करें भगवान धनवंतरी की पूजा. यह भी पढ़ें: Diwali 2022: धनतेरस से भाई दूज तक करें यह विशिष्ठ पूजा! धन-समृद्धि के साथ-साथ मिलेगा मान सम्मान
धनतेरस (23 अक्टूबर 2022) पूजा एवं सोना-चांदी खरीदने के शुभ महूर्त!
हिंदू शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी एवं भगवान कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरी की पूजा-अर्चना प्रदोष काल के दौरान और सूर्यास्त के पश्चात ही करना लाभकारी होता है.
धनतेरस का मुहूर्तः 05.44 PM से 06.05 PM तक (कुल अवधि केवल 21 मिनट)
प्रदोष कालः 05.44 PM से 08.16 PM तक
वृषभ कालः 06.58 PM 08.54 PM तक
सोना-चांदी अथवा कीमती वस्तुओं की खरीदारी का शुभ समय
हमारे ज्योतिषाचार्य श्री दवे के अनुसार धन त्रयोदशी के दिन सोना-चांदी अथवा कीमती वस्तु खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. धनतेरस के दिन सर्राफा बाजार में गजब की रौनक देखने को मिलती है. अधिकांश लोग इस दिन सोना, चांदी, घर, गाड़ी आदि खरीदना पसंद करते हैं. इसके लिए सर्वार्थ सिद्धि योग सर्वथा शुभ माना जाता है. क्योंकि इस काल में सभी किस्म की सिद्धियां होती हैं. धनतेरस के दिन प्रातःकाल 06.31 AM से 02.34 PM तक सर्वार्थ सिद्धी योग निर्मित हो रहा है. सर्वार्थ सिद्धी योग इतना बलवान योग होता है कि इस दौरान राहुकाल का असर भी नहीं होता है. अलबत्ता इस दिन यात्रा करना शुभकारी नहीं होता है.
खरीदारी के पश्चात ऐसे करें धनतेरस की पूजा!
धन त्रयोदशी पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के पश्चात लक्ष्मीजी का ध्यान करें. शुभ मुहूर्त पर एक चौकी पर लाल आसन बिछाएं, लक्ष्मीजी के साथ भगवान कुबेर और धनवंतरी की प्रतिमा रखें. अगर कुबेर एवं धनवंतरी की प्रतिमा या फोटो नहीं है तो उनकी जगह प्रतीक स्वरूप दो सुपारी रख सकते हैं. धूप-दीप प्रज्ववलित के बाद माता लक्ष्मी का आह्वान-मंत्र पढ़ें.
पद्मानने पद्मिनी पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधस्त्व।।
अब भगवान को अक्षत, रोली, कमल का फूल, फूलों की माला, हल्दी, पीला चंदन, तुलसी दल, मिठाई तथा फल चढ़ाएं. धनतेरस पर खरीदी वस्तुएं सोना, चांदी, आभूषण, मोबाइल आदि भगवान के पास रखें, इस पर स्वास्तिक का निशान बनाकर, कलाई नारा बांधें, इस पर जल छिड़कें दायें हथेली पर जल लेकर आचमन करें. यह श्लोक पढ़ें
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरी जी को प्रणाम करें. अब प्रसाद वितरित करें.