Chandra Grahan 2023: शरद पूर्णिमा पर लग रहा चंद्र ग्रहण शुभ है या अशुभ? 4 शुभ योगों में करें ये उपाय दूर होगी दरिद्रता!
Chandra Grahan 2023 (Photo Credit: AajTak)

साल के पहले चंद्रग्रहण (5 मई 2023) के बाद अब दूसरे चंद्र के कुछ घंटे शेष हैं. 28 अक्टूबर 2023 को लगने वाला यह चंद्रग्रहण कई मायने में बेहद महत्वपूर्ण बताया जा रहा है, क्योंकि यह चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन लग रहा है, जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होगा, जब चंद्रमा की खूबसूरती देखने के लिए श्रद्धालु लालायित रहेंगे, जब चंद्रमा को अर्पित खीर खाने से शरीर रोगमुक्त होता है, सबसे खास बात यह है कि ग्रहण काल में कुछ ग्रह भी निर्मित हो रहे हैं, जो जातक के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं. आइये जानते हैं इस चंद्रग्रहण के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां..

कहां-कहां दिखेगा ये चंद्र ग्रहण?

यह चंद्र ग्रहण भारत के लगभग प्रत्येक प्रदेशों में दिखाई देगा. भारत के अलावा साल का यह दूसरा चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, उत्तर व पूर्व दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका में भी दिखेगा. यह भी पढ़ें : Karwa Chauth Saree Ideas 2023: आलिया भट्ट से लेकर कैटरीना कैफ तक, करवा चौथ पर रेड एथनिक ऑउटफिट कैरी करने के लिए लें इन अभिनेत्रियों से प्रेरणा

भारत में चंद्र ग्रहण की स्थिति और प्रभाव

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार एक ही माह में पहले सूर्य ग्रहण और अब चंद्र ग्रहण का लगना बहुत अच्छा नहीं माना जाता है. यह ग्रहण मेष राशि एवं अश्विनी नक्षत्र में लग रहा है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इन ग्रहों के दरम्यान जब भी ग्रहण लगता है जीव-जंतुओं के साथ पृथ्वी पर भी शुभ-अशुभ असर अवश्य पड़ता है. साल का यह दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 11.30 बजे संपूर्ण भारत में देखा जा सकेगा. ग्रहण की शुरूआत हलके छाए से होगी, इस स्थिति को पेनबा स्टेज कहा जाता है. वहीं ग्रहण जब चरम स्टेज (रात 01.05 बजे से 02.24 बजे तक) पर होगी, जिसे अम्ब्रा स्टेज कहते हैं. सूतक काल की गणना इसी स्टेज के अनुसार की जाती है. चंद्र ग्रहण का मोक्ष काल देर रात 02.40 बजे होगा.

चार शुभ ग्रहों का योग और लाभान्वित करने वाले उपाय

यह चंद्र ग्रहण भारत में सभी जगह दिखने के कारण सूतक काल के सारे नियम मान्य होंगे, जो विधान के अनुसार ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले लग जाएगा. ऐसे में शरद पूर्णिमा की सभी पूजा चंद्र ग्रहण की समाप्ति के पश्चात शुरू किया जाना चाहिए. इस वर्ष चंद्र ग्रहण काल में चार शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है. शरद पूर्णिमा के दिन बुधादित्य योग, गजकेसरी योग, शश योग और सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है. योगों का यह संयोग शुभता को दर्शाता है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार ये चारों योग आर्थिक संकट को दूर करते हैं. इन योगों में किये गये कुछ कार्य बेहद सफल होते हैं.

माँ लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं

शरद पूर्णिमा की रात सूतक काल समाप्त होने के पश्चात खीर बनाकर भोग लगाएं, मगर इस बात का ध्यान रखें कि सूतक काल शुरू होने पूर्व खीर में तुलसी पत्ता जरूर डाल दें. अगली सुबह परिवार के सभी लोगों को खीर बांट दें, जीवन के सारे संकट मिट जाएंगे.

गाय को चारा खिलाएं

शरद पूर्णिमा के दिन गाय की जितनी सेवा कर सकें, उतना अच्छा होगा. बेहतर होगा कि इस दिन गाय को गुड़ रोटी खिलाना चाहिए. इससे घर में खुशहाली आती है, और दरिद्रता दूर होती है.

माता लक्ष्मी की पूजाः

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण की समाप्ति के पश्चात देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का जाप करने से सारे आर्थिक संकट दूर होते हैं.

ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः:।।