चाणक्य उर्फ कौटिल्य उर्फ विष्णुगुप्त ने अपनी नीति शास्त्र में हर तरह के व्यक्ति, वर्ग, धर्म, लिंग, समय, काल परिस्थितियों और व्यक्ति विशेष की नीतियों आदि के बारे में इतना सटीक वर्णन किया है कि सैकड़ों साल बाद आज भी उनकी बातें सामयिक लगती हैं. अपनी इन्हीं नीतियों के तहत आचार्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि किन लोगों की मदद नहीं करनी चाहिए, वरना आप स्वयं भी संकट में फंस सकते हैं. निम्न श्लोक में आचार्य ने कुछ विशेष लोगों से दूरी बनाकर रहने में ही खुद की भलाई की बात कही है. आइये जानते हैं, क्या कहना चाहा है यहां आचार्य ने...
‘मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति।‘
मूर्ख व्यक्ति: चाणक्य की नीति शास्त्र के अनुसार समझदार व्यक्ति को मूर्ख व्यक्ति से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए. आचार्य के अनुसार मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देने की कभी कोशिश न करें. हम मूर्ख को ज्ञान देकर उसके कल्याण की बात सोचते हैं, तो बहुत संभावना है कि आप स्वयं किसी बड़े संकट में फंस जाएं.. यह भी पढ़ें : Ram Navami 2025 Sanskrit Wishes: राम नवमी के इन संस्कृत Shlokas, WhatsApp Messages, Facebook Greetings के जरिए अपनों से कहें ‘अस्तु शुभं रामनवमी’
दुष्ट चरित्र वाला व्यक्तिः यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हैं, जिसके बारे में आप जानते हैं कि वह दुष्ट चरित्र वाला व्यक्ति है तो आपको उसका साथ तुरंत छोड़ देना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग देश और समाज दोनों के लिए खतरनाक होते हैं. ऐसे लोगों की संगत में रहकर आप लगातार अपमानित हो सकते हैं. आपका व्यक्तित्व प्रभावित हो सकता है. इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए.
दुखी व्यक्ति का साथ दुख ही देता हैः चाणक्य के अनुसार जो लोग अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं, और हमेशा ही दुखी रहते हैं, उनसे दूर रहना चाहिए. इन लोगों की भलाई करने पर भी हमें दुख ही मिलता है. ऐसे लोगों का जीवन चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो जाए ये हमेशा दुखी रहते हैं. इस प्रकार ईर्ष्या भाव रखने वाले और बिना वजह दुखी रहने वाले लोगों से भी दूर रहने में हमारी भलाई है.
नशा करने वालों सेः नशा करने वालों से भी दूरी बनाकर रहने में ही भलाई है, क्योंकि वे नशे में आपका निरंतर नुकसान ही करेंगे. आपको उनके साथ बदनामी के अलावा कुछ भी नहीं मिलेगा. चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगों की मदद करने के बजाय बेहतर होगा कि आप उससे दूरी बनाकर रहें.
स्वार्थी लोगों से भी दूर रहेः स्वार्थी व्यक्ति किसी का नहीं होता. अपना काम निकलने के बाद वह आपको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकालकर फेंक सकता है. चाणक्य की नीति शास्त्र के अनुसार स्वार्थी लोगों की मदद नहीं करना बेहतर है, क्योंकि उन्हें अपने अलावा किसी की परवाह नहीं होती है.













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