Health & Smart Phone: मोबाइल फोन आज हर व्यक्ति के जीवन में आधुनिक दूरसंचार का अभिन्न अंग बन चुका है. मोबाइल के नए-नए संस्करण निरंतर बाजार में आ रहे हैं, जिनकी कीमत लाखों में है, हर नया संस्करण नई तकनालॉजी से लैस होती है, इनके ग्राहक की संख्या भी कम नहीं है. भारतीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार वर्तमान में करीब 1.2 अरब से अधिक लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इसमें करीब 60 करोड़ स्मार्टफोन के उपभोक्ता हैं. इनकी संख्या भी निरंतर बढ़ रही है. एक अनुमान के अनुसार साल 2025 तक स्मार्ट फोन उपभोक्ताओं की संख्या सौ करोड़ पार कर जाएगी. बता दें कि मोबाइल फोन के जरिये लोग संचार, शिक्षा, मनोरंजन, फोटोग्राफी, और अन्य व्यवसाय के लिए करते हैं. इसके विपरीत स्वास्थ्य मंत्रालय इस बात को लेकर फिक्रमंद है कि मानव जीवन में बढ़ रही मोबाइल की उपयोगिता उनकी सेहत के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है. इस संदर्भ में हालिया शोध की रिपोर्ट क्या कुछ कहती है, आइये जानते हैं.. ये भी पढ़े :रात को देरी से सोते हैं तो हो सकती है स्वास्थ्य समस्या, अच्छी नींद के लिए करें यह उपाय
क्या कहती है शोध की रिपोर्ट?
गत वर्ष 2023 में हुए एक शोध के अनुसार पाया गया कि मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. शोध की रिपोर्ट में पाया गया कि युवा वर्ग द्वारा मोबाइल गेमिंग और सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग अवसाद और चिंता के लक्षणों को बढ़ा रहा है. इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञ संतुलित और सीमित मोबाइल उपयोग की सलाह देते हैं, ताकि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका ज्यादा असर ना पड़े. इसे निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है.
नींद की समस्या: रात को मोबाइल का उपयोग करने से नींद में कमी और नींद की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है. मोबाइल की नीली रोशनी से मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होता है, जो नींद के लिए आवश्यक है.
शारीरिक स्वास्थ्य: लंबे समय तक मोबाइल का उपयोग करने से शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं. मसलन मोटापा, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं इत्यादि.
दृष्टि समस्याएं: मोबाइल की स्क्रीन के सामने लंबे समय तक रहने से आंखों में तनाव, सूखापन, और दृष्टि में गिरावट हो सकती है. इसे ‘स्क्रीन सिंड्रोम’ भी कहते हैं.
संज्ञानात्मक प्रभाव: कुछ शोधों से यह सुझाव प्राप्त हुआ कि मोबाइल उपकरणों पर अधिक निर्भरता ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि लगातार सूचनाएं ध्यान और उत्पादकता को कम करती हैं.