Baisakhi 2024: बैसाखी कब मनाई जाएगी,13 या 14 अप्रैल को? जानें सही तारीख, इसका इतिहास और सेलिब्रेशन!
Baisakhi 2024

बैसाखी पर्व की शुरुआत पंजाब (भारत) से हुई थी, और इसे रबी की फसल की कटाई शुरू होने के उपलक्ष्य के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है. इस पर्व का यूं तो पंजाब और हरियाणा में विशेष महत्व है, लेकिन आज यह पंजाब, हरियाणा या भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में उसी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लेकिन इस वर्ष 2024 में बैसाखी कब मनाई जाएगी, 13 या 14 अप्रैल को, मूल तिथि को लेकर कुछ संशय है. पंजाब में इस दिन को नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है. नये साल के उपलक्ष्य में स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं, और शाम के समय सभी लोग एक जगह एकत्र होकर भांगड़ा नृत्य कर अपनी खुशी का इजहार करते हैं. आइये जानते हैं, पंजाब के इस वैभवशाली नववर्ष के बारे में कुछ रोचक जानकारियां...

इस दिन होगी बैसाखी!

भारत विविधताओं का देश है. यहां तमाम धर्म और जाति के लोग रहते हैं. त्यौहार हो या व्रत-पूजा, अथवा कोई अन्य उत्सव, सभी की सेलिब्रेशन की अपनी-अपनी मान्यताएं एवं रीति-रिवाज होते हैं. उदाहरण के लिए सिख समुदाय का नया साल शुरू हो रहा है. इस नये साल को वे प्रतीकात्मक रूप से वे बैसाखी रूप में मनाते हैं. खालसा संवत के अनुसार खालसा कैलेंडर का निर्माण खालसा 1 वैशाख 1756 विक्रमी (30 मार्च 1699) को शुरू होता है. इस हिसाब से इस साल 2024 में 13 अप्रैल शनिवार को बैसाखी मनाई जाएगी. यह भी पढ़ें : Ramadan Eid 2024 Moon Sighting In India: भारत में कब मनाई जाएगी ईद? जानें इस महापर्व का अद्वितीय इतिहास और इसका आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व!

कैसे पड़ा नाम बैसाखी?

बैसाख माह में आकाश में विशाखा नक्षत्र रहता है, विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं, और वैशाख के पहले दिन को बैसाखी कहा जाता है, इस दिन सूर्य देव मेष राशि में निवास करते हैं, इस वजह से इस पर्व को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है.

बैसाखी सेलिब्रेशन

* बैसाखी पर्व भारत ही नहीं दुनिया भर के सिखों, पंजाबियों और हिंदुओं द्वारा जोश एवं उत्साह के साथ मनाई जाती है.

* बैसाखी को देश के अधिकांश शहर-मोहल्लें में भारी तादाद में सिख स्त्री-पुरुष जुलूस शामिल होते हैं, और भजन-कीर्तन आदि में हिस्सा लेते हैं.

* इस दिन सुबह-सवेरे गुरुद्वारों में भजन और प्रार्थनाएं होती हैं.

* इस पर्व पर सभी नये-नये वस्त्र पहनते हैं, गुरुद्वारे में जाकर माथा टेकते हैं, कार सेवा करते हैं.

* चूंकि यह फसलों का पर्व है, इसलिए पंजाब के बहुत सारे घरों इस दिन सरसों का साग और मक्के की रोटी अवश्य बनाते हैं.

* उत्साह और खुशी में पुरुष एवं महिलाएं पंजाब का लोकप्रिय एवं पारंपरिक भांगड़ा और गिद्दा-नृत्य करते हैं