इस्लाम धर्म के सबसे बड़े पर्व ‘ईद’ को ईद-उल-फितर अथवा मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व इस्लामी कैलेंडर में 10वें शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है. वस्तुतः इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना - इस्लामी परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जब हर मुसलमान आध्यात्मिक शांति की भावना के तहत रोजा रखते हैं, और अल्लाह की इबादत करते हैं. यह उन सभी व्यक्तियों के लिए सुख, समृद्धि, सद्भावना और शांति लाता है, जो खुद को पवित्र उद्देश्य के लिए समर्पित करते हैं. बता दें कि रमजान का पहला रोजा 11 मार्च को रखा गया था, और संभवतया 10 या 11 अप्रैल को रोजा का समापन होगा, माना जा रहा है कि इस वर्ष 11 अप्रैल 2024, को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा. हालांकि यह तारीख चंद्रमा के दर्शन के बाद ही तय की जाएगी.
भारत में ईद-उल-फितर 2024
ईद उल फितर की शुभ तारीख चंद्र-दर्शन के बाद ही निश्चित की जाएगी. उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष, भारत में ईद-अल-फितर 10 अप्रैल 2024, गुरुवार अथवा 11 अप्रैल 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी.
ईद-उल-फितर का इतिहास
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार पहली बार ईद-उल-फितर का पर्व 624 ई में मनाया गया था, जब पैगंबर मुहम्मद को रमज़ान के पवित्र माह के दौरान पवित्र कुरान का पहले दर्शन का सौभाग्य मिला था. ईद-उल-फितर की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद साहब ने की थी. कहा जाता है कि इसी दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में बड़ी जीत हासिल की थी. लोगों ने पैगंबर मोहम्मद की जीत पर खुशी का इजहार किया और मिठाइयां बांटी. तरह-तरह के पकवान बनाकर जश्न मनाया जाता है. तभी से हर साल बकरीद से पहले मीठी ईद मनाई जाती है. इस त्यौहार पर मुसलमान न केवल रमजान के पूरा होने का जश्न मनाते हैं बल्कि कुरान के लिए अल्लाह का शुक्रिया भी अदा करते हैं.
ईद-उल-फितर का महत्व
ईद-उल-फितर उपवास के इस्लामी पाक माह रमजान के अंत का प्रतीक है, जिसे दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है. रमजान अरबी शब्द 'रमिदा' या 'अर-रमद' से बना है, जिसका अर्थ है 'चिलचिलाती गर्मी. रमज़ान को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है, जिसमें शाहदा (विश्वास), सलात (प्रार्थना), ज़कात (भिक्षादान), सावन (उपवास) और हाजी (तीर्थयात्रा) शामिल हैं.
ईद-अल-फितर का अर्थ है ‘उपवास तोड़ने का पर्व’. इस दिन, लोग नए-नए कपड़े पहनकर ईद की नमाज पढ़ने मस्जिद जाते हैं. आपसी सौहार्द के प्रतीक स्वरूप एक दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाइयां दी जाती है. घरों में तमाम किस्म के व्यंजन बनते हैं, गरीबों को दान करते हैं.