Ashura 2021: आशुरा पर ये Quotes और Messages भेजकर इमाम हुसैन की कुर्बानी को करें याद

आशुरा (Ashura) का दिन इस्लामी कैलेंडर में मुहर्रम का 10 वां दिन है. यह मुहर्रम (Muharram) की याद का प्रतीक है लेकिन इस्लामिक महीना नहीं है. मुहर्रम न केवल इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, बल्कि इसे 'अल्लाह का महीना' भी कहा जाता है और इस महीने के दौरान वैकल्पिक (नफिल) रोजा रमजान के महीने के बाद सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है. ऐसा साहीह हदीथ (Sahih Hadith) में है....

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Ashura 2021: आशुरा पर ये Quotes और Messages भेजकर इमाम हुसैन की कुर्बानी को करें याद

आशुरा (Ashura) का दिन इस्लामी कैलेंडर में मुहर्रम का 10 वां दिन है. यह मुहर्रम (Muharram) की याद का प्रतीक है लेकिन इस्लामिक महीना नहीं है. मुहर्रम न केवल इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, बल्कि इसे 'अल्लाह का महीना' भी कहा जाता है और इस महीने के दौरान वैकल्पिक (नफिल) रोजा रमजान के महीने के बाद सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है. ऐसा साहीह हदीथ (Sahih Hadith) में है....

लाइफस्टाइल Snehlata Chaurasia|
Ashura 2021: आशुरा पर ये Quotes और Messages भेजकर इमाम हुसैन की कुर्बानी को करें याद
Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

Ashura 2021: आशुरा (Ashura) का दिन इस्लामी कैलेंडर में मुहर्रम का 10 वां दिन है. यह मुहर्रम (Muharram) की याद का प्रतीक है लेकिन इस्लामिक महीना नहीं है. मुहर्रम न केवल इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, बल्कि इसे 'अल्लाह का महीना' भी कहा जाता है और इस महीने के दौरान वैकल्पिक (नफिल) रोजा रमजान के महीने के बाद सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है. ऐसा साहीह हदीथ (Sahih Hadith) में है. इस बार आशुरा 20 अगस्त यानी शुक्रवार को पड़ रहा है. आशुरा दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र दिन है, जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम के 10वें दिन मनाया जाता है. इस साल, अशूरा 20 अगस्त को पड़ता है. शिया मुसलमान इसे मुहर्रम की याद और कर्बला की लड़ाई में हुसैन इब्न अली (पैगंबर मुहम्मद के पोते) की शहादत के रूप में देखते हैं. सुन्नियों के लिए, आशूरा वह दिन है जब मूसा ने इस्राएलियों की स्वतंत्रता के लिए अपनी कृतज्ञता दिखाने के लिए उपवास किया था. यह भी पढ़ें: Ashura 2020: मुहर्रम के दसवें दिन कर्बला में शहीद हुए थे इमाम हुसैन, जानें कैसे मनाया जाता है यौम-ए-आशुरा और क्या है इसका महत्व

आज मुख्य रूप से शिया मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला शोक का पवित्र दिन भी है. अन्य मुस्लिम संप्रदाय रोजा और ध्यान करते हुए दिन बिताते हैं. यह दिन मुसलमानों के लिए बहुत धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है. आशूरा दुखद 'कर्बला की लड़ाई' की घटना को चिह्नित करता है जिसमें 7 वीं शताब्दी के क्रांतिकारी नेता हुसैन इब्न अली शहीद हो गए थे. दुनिया भर में लाखों मुसलमान हुसैन के बलिदान और सामाजिक न्याय पर सम्मानजनक रुख को याद करने के लिए आशुरा मनाते हैं.

1. मिट्टी में मिल गया था इरादा यजीद का

लहरा रहा है परचम अब भी हुसैन का

Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

2. हुसैन की नमाज जारी है

जबीन-ए-इब्न-ए-अली की नियाज जारी है

खुदा के दीन की उम्र-ए-दराज जारी है

सजदे में रख के सर को ना उठाया मेरे हुसैन ने

मेरे हुसैन की अब तक नमाज जारी है

Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

3. "ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखे छलक पड़ीं

पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से

लाइफस्टाइल Snehlata Chaurasia|
Ashura 2021: आशुरा पर ये Quotes और Messages भेजकर इमाम हुसैन की कुर्बानी को करें याद
Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

Ashura 2021: आशुरा (Ashura) का दिन इस्लामी कैलेंडर में मुहर्रम का 10 वां दिन है. यह मुहर्रम (Muharram) की याद का प्रतीक है लेकिन इस्लामिक महीना नहीं है. मुहर्रम न केवल इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, बल्कि इसे 'अल्लाह का महीना' भी कहा जाता है और इस महीने के दौरान वैकल्पिक (नफिल) रोजा रमजान के महीने के बाद सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है. ऐसा साहीह हदीथ (Sahih Hadith) में है. इस बार आशुरा 20 अगस्त यानी शुक्रवार को पड़ रहा है. आशुरा दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र दिन है, जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम के 10वें दिन मनाया जाता है. इस साल, अशूरा 20 अगस्त को पड़ता है. शिया मुसलमान इसे मुहर्रम की याद और कर्बला की लड़ाई में हुसैन इब्न अली (पैगंबर मुहम्मद के पोते) की शहादत के रूप में देखते हैं. सुन्नियों के लिए, आशूरा वह दिन है जब मूसा ने इस्राएलियों की स्वतंत्रता के लिए अपनी कृतज्ञता दिखाने के लिए उपवास किया था. यह भी पढ़ें: Ashura 2020: मुहर्रम के दसवें दिन कर्बला में शहीद हुए थे इमाम हुसैन, जानें कैसे मनाया जाता है यौम-ए-आशुरा और क्या है इसका महत्व

आज मुख्य रूप से शिया मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला शोक का पवित्र दिन भी है. अन्य मुस्लिम संप्रदाय रोजा और ध्यान करते हुए दिन बिताते हैं. यह दिन मुसलमानों के लिए बहुत धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है. आशूरा दुखद 'कर्बला की लड़ाई' की घटना को चिह्नित करता है जिसमें 7 वीं शताब्दी के क्रांतिकारी नेता हुसैन इब्न अली शहीद हो गए थे. दुनिया भर में लाखों मुसलमान हुसैन के बलिदान और सामाजिक न्याय पर सम्मानजनक रुख को याद करने के लिए आशुरा मनाते हैं.

1. मिट्टी में मिल गया था इरादा यजीद का

लहरा रहा है परचम अब भी हुसैन का

Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

2. हुसैन की नमाज जारी है

जबीन-ए-इब्न-ए-अली की नियाज जारी है

खुदा के दीन की उम्र-ए-दराज जारी है

सजदे में रख के सर को ना उठाया मेरे हुसैन ने

मेरे हुसैन की अब तक नमाज जारी है

Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

3. "ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखे छलक पड़ीं

पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से

Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

4. कत्ल-ए-हुसैन, असल में मर्ग-ए-यजीद है,

इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद

Ashura 2021 (Photo Credits: File Image)

इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आशुरा के 10 वें दिन ही हजरत इमाम हुसैन, उनके बेटे, घरवालों और साथियों को कर्बला में शहीद कर दिया गया था. कर्बला एक छोटा सा कस्बा है जो इराक की राजधानी बगदाद से 100 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में स्थित है. हिजरी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम की 10 तारीख को इमाम हुसैन और उनके परिवार का उस समय के खलीफा यजीद बिन मुआविया के आदमियों ने कत्ल कर दिया था.

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