बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर 10 साल पहले हुए सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले को लेकर अपनी आवाज क्या उठाई, देखते ही देखते पूरी फिल्म इंडस्ट्री में मी टू कैंपेन ने जोर पकड़ लिया. इस मुहिम की मदद से ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़ी जो एक्ट्रेसेस सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ आवाज उठाने से कतराती थीं, वो अब खुलकर बोल रही हैं. हालांकि सेक्सुअल हैरेसमेंट सिर्फ ग्लैमर वर्ल्ड तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ऑफिस, घर और पब्लिक प्लेस पर भी कई महिलाओं को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है.
आज भी कई ऐसी महिलाएं है जो अपने साथ हुई ऐसी किसी घटना पर चुप्पी साध लेती हैं, जबकि कई महिलाएं ये समझ ही नहीं पाती हैं कि उनके साथ क्या हुआ? इसलिए आपको इसका पता होना चाहिए कि कौन सी घटना सेक्सुअल हैरेसमेंट के अंतर्गत आती है, ताकि आप समय रहते उसके खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें.
1- अगर कोई व्यक्ति आपकी मर्जी के खिलाफ जबरन आपको छूने की कोशिश कर रहा है या आपका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है तो इसका अर्थ है कि आपके साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट हो रहा है. यह भी पढ़ें: इन 5 वजहों से शादीशुदा महिलाएं होती हैं दूसरे मर्दों की तरफ आकर्षित
2- अगर कोई व्यक्ति आपको बिना आपकी इजाजत के अश्लील फोटोज दिखा रहा है या फिर अश्लील वीडियो भेज रहा है तो यह सेक्सुअल हैरेसमेंट के अंतर्गत आता है.
3- दफ्तर में या पब्लिक प्लेस पर कोई आपसे सेक्सुअल फेवर के लिए किसी तरह की मांग करता है तो खामोश न रहें और इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाएं.
4- ऑफिस, घर या पब्लिक प्लेस पर कोई अगर गलत इरादे से आप पर किसी तरह की कोई सेक्सुअल टिप्पणी करता है तो समझ लीजिए कि आप सेक्सुअल हैरेसमेंट का शिकार हो रही हैं.
5- शारीरिक रूप से या मौखिक रुप से किसी भी तरह के अभद्र इशारे करना या संकेत देना सैक्सुअल हैरेसमेंट के अंतर्गत आता है.
क्या करें ?
अगर आपको लगता है कि ऑफिस में आपके साथ यौन उत्पीड़न यानी सेक्सुअल हैरेसमेंट हो रहा है तो अपने साथ हो रही घटनाओं को रिकॉर्ड करने की कोशिश करें. उन सभी घटनाओं की एक लिस्ट बनाएं और अपने ऑफिस के एचआर विभाग में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराएं और उन्हें तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहें. यह भी पढ़ें: सामने वाला सच बोल रहा है या झूठ, जानने के लिए ट्राई करें ये 5 स्मार्ट ट्रिक्स
अगर आपको उस जगह पर काम करने में दिक्कत हो रही है तो जब तक मामले की जांच चल रही है तब तक आप छुट्टी ले सकती हैं. दअरसल, सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट 2013 के सेक्शन 12 के तहत इस तरह के मामलों में पीड़ित महिला को 3 महीने तक की छुट्टी लेने का अधिकार है.
क्या कहता है कानून ?
यौन उत्पीडन की घटनाओं को रोकने के लिए और पीड़ितों की मदद के लिए कानून भी बनाया गया है. सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट 2013 के मुताबिक, किसी कंपनी में काम करने वाला व्यक्ति चाहे वो परमानेंट कर्मचारी हो या फिर कोई इंटर्न. हर किसी को यह अधिकार है कि अगर उसके साथ यौन उत्पीड़न जैसी कोई घटना होती है तो वो शिकायत कर सकता है. यह कानून स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू है.