चैत्र माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी मथुरा (उत्तर प्रदेश) समेत समस्त उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. इस पर्व पर हजारों भक्त पूजा-अनुष्ठान करने और सुख, शांति एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने यमुना तट पर इकट्ठा होते हैं, और गौरवान्वित महसूस करते हैं. इस वर्ष यह पर्व 14 अप्रैल 2024, रविवार को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं यमुना छठ पूजा की महिमा, शुभ मुहूर्त, तिथि एवं अनुष्ठान आदि के बारे में जरूरी बातें...
क्यों मनाते हैं यमुना छठ?
यमुना छठ का पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन मनाया जाता है, जो वस्तुतः चैत्र नवरात्रि काल में पड़ता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोलोकवास में भगवान विष्णु ने यमुना जी को पृथ्वी पर अवतरित होने का आदेश दिया था. इसके पश्चात चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन यमुना पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, इसलिए पृथ्वीवासी इस दिन को यमुना जयंती के रूप में मनाते हैं. यूं तो जहां-जहां यमुना नदी बहती हैं, सभी जगहों पर यमुना षष्ठी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इन दिनों मथुरा एवं वृंदावन में यमुना छठ का एक नजारा देखने को मिलता है.
यमुना छठ (2024) मूल तिथि एवं मुहूर्त
चैत्र शुक्ल पक्ष छठ प्रारंभः 12.04 PM (13 अप्रैल 2024, रविवार)
चैत्र शुक्ल पक्ष छठ समाप्तः 11.43 AM (14 अप्रैल 2024, सोमवार)
उदया तिथि के नियमों के अनुसार यमुना छठ का पर्व 14 अप्रैल 2024 को मनाया जायेगा.
यमुना छठ अनुष्ठान
यमुना छठ पर श्रद्धालु सूर्योदय एवं सूर्यास्त के दौरान पवित्र यमुना में डुबकी लगाते हैं. स्नान के पश्चात यमुना में सूर्यदेव को जल अर्पित करते हैं. इसके अलावा दूध, फल-फूल, नारियल एवं मिठाइयां आदि भी चढ़ाई जाती हैं. संध्याकाल के समय दीप प्रज्वलित कर यमुना को दीप-दान करते हैं. दीप-दान के साथ ‘यमुना अष्टक’ का पाठ करते हैं. इसके पश्चात यमुना की आरती उतारते हैं. मान्यता है कि इस अवसर पर यमुना में डुबकियां लगाने से जातक के अगले-पिछले सारे पाप धुल जाते हैं. बहुत सारी जगहों पर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण जी की पूजा-अनुष्ठान करते हैं. इसके पश्चात गरीबों एवं जरूरतमंदों को उनकी जरूरत के अनुसार दान करें.
कौन हैं यमुना?
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की आठ प्रमुख पत्नियों में एक यमुना भी थीं, इसलिए उन्हें ‘अष्टभार्या’ कहा जाता है. भगवान श्रीकृष्ण के प्रारंभिक जीवन में एक नदी के रूप में यमुना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार यमुना के पानी में स्नान करने या पीने से सारे पाप ही नहीं रोग भी मिट जाते हैं.