नई दिल्ली: किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. इस बीच सोमवार को शंभू बॉर्डर पर किसान नेताओं की एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. किसान अव 21 फरवरी को दिल्ली कूच करने की तैयारी में है. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ''...दोनों मंचों की चर्चा के बाद ये तय हुआ है कि विश्लेषण करें तो सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नहीं है...ये किसानों के पक्ष में नहीं है. हम इसे खारिज करते हैं.'' MSP गारंटी से कम कुछ मंजूर नहीं, केंद्र के प्रस्ताव पर बोले किसान नेता.
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट है. सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का फॉर्मूला तय करे. सरकार के प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला है. सरकार की ओर से जो प्रस्ताव दिया गया है, उसमें किसी तरह की स्पष्टता नहीं है.
डल्लेवाल ने कहा कि हमने तय किया है कि सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, उसका नाप-तोल किया जाए तो उसमें कुछ नजर नहीं आ रहा है. हमारी सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये का ताड़ का तेल (Palm Oil) खरीदती है लेकिन अगर इतनी धनराशि खेती के लिए तिलहन के लिए तय की जाती तो किसानों को इससे बहुत फायदा होता.
डल्लेवाल ने कहा कि हमारी सरकार से अपील है की या तो हमारी मांगें मानी जाए या फिर शांति से हमें दिल्ली में बैठने की मंजूरी दी जाए. हमारी सभी किसान भाइयों से अपील है कि वे हिंसा नहीं करें.
किसानों को सभी 23 फसलों पर चाहिए गारंटी
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार को सिर्फ दाल या मक्का पर नहीं, बल्कि सभी 23 फसलों पर गारंटी देनी चाहिए. पंजाब के किसानों का कहना है कि उनके लिए इस प्रस्ताव से कोई खास लाभ नहीं है, क्योंकि वहां दाल और मक्का की खेती कम ही होती है. उन्होंने कहा, इस अधूरे प्रस्ताव से पंजाब, हरियाणा के किसानों को कोई फायदा नहीं है.
फसल खरीद के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर हजारों किसान पंजाब और हरियाणा की सीमा पर डटे हुये हैं. किसानों के मुद्दे पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री गोयल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत की.
सरकार ने का प्रस्ताव रखा
सरकार ने किसानों के सामने प्रस्ताव रखा कि सरकारी एजेंसियां एमएसपी पर किसानों से दालें, मक्का और कपास खरीदेंगी. ये खरीद अगले पांच साल तक होगी. ये कॉन्ट्रैक्ट उन किसानों के साथ होगा, जो दाल और मक्का की फसल उगाते हैं. सरकारी एजेंसियां किसानों से अगले पांच साल तक एमएसपी पर दालें और मक्का खरीदेंगी. इसके अलावा ये भी प्रस्ताव रखा गया है कि कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए पांच साल तक एमएसपी पर कपास खरीदा जाएगा.