दिल्ली में क्यों 4.4 तीव्रता का भूकंप भी बन गया बड़ा झटका? जानें कारण
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गुरुवार सुबह करीब 9:04 बजे, दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में एक 4.4 तीव्रता का भूकंप आया. हालांकि यह मध्यम स्तर का भूकंप था, लेकिन इसके झटके इतने तेज़ थे कि लोग घरों और दफ्तरों से बाहर भागने लगे. दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाज़ियाबाद जैसे क्षेत्रों में लोगों ने झटकों को साफ महसूस किया. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, इस भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले के पास था. दिल्ली से सिर्फ 51 किलोमीटर पश्चिम में. भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर थी, यानी यह सतह के काफी पास था.

4.4 की तीव्रता फिर भी इतना तेज झटका क्यों?

1.भूकंप का केंद्र बहुत पास था: दिल्ली-एनसीआर में झटके इसलिए ज्यादा महसूस हुए क्योंकि भूकंप का केंद्र शहर के बहुत करीब था. जब केंद्र पास होता है, तो तरंगों को इमारतों तक पहुंचने में कम समय लगता है, जिससे झटका ज्यादा महसूस होता है.

2. कम गहराई का भूकंप: जब भूकंप ज़मीन के बहुत पास आता है (जैसे इस बार 10 किमी की गहराई पर), तो उसका असर सतह पर ज्यादा होता है. गहरे भूकंप के झटके अक्सर कमजोर महसूस होते हैं.

3. दिल्ली का संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र: दिल्ली सिस्मिक जोन IV में आती है, जो भूकंप के लिहाज से उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है. यहां पहले भी कई बार हल्के और मध्यम झटके महसूस किए जा चुके हैं.

4. ऊंची इमारतों में ज्यादा झटका लगता है: दिल्ली-एनसीआर में कई हाई-राइज बिल्डिंग्स हैं. इन इमारतों की बनावट ऐसी होती है कि भूकंप की तरंगों से ये ज्यादा झूलती हैं, जिससे झटका ज्यादा महसूस होता है.

क्या 4.4 की तीव्रता वाला भूकंप खतरनाक होता है?

नहीं. वैज्ञानिकों के अनुसार 2.5 से कम तीव्रता के भूकंप आमतौर पर महसूस भी नहीं होते. 2.5 से 5.4 तीव्रता वाले भूकंप हल्के होते हैं और आमतौर पर नुकसान नहीं करते. 5.5 से ऊपर के भूकंप से इमारतों को हल्का नुकसान हो सकता है. इस लिहाज से 4.4 तीव्रता का भूकंप मध्यम श्रेणी में आता है, लेकिन इसके प्रभाव का मुख्य कारण स्थान, गहराई और जनसंख्या घनत्व है.

लोगों का अनुभव: "ऐसा झटका पहले कभी महसूस नहीं किया"

झज्जर, गुरुग्राम और दिल्ली में कई लोगों ने भयभीत होकर इमारतें खाली कीं. एक व्यक्ति ने कहा, “मैं ऑफिस में था तभी कंप्यूटर और पंखे हिलने लगे. हम सब डरकर बाहर भागे.” दिल्ली मेट्रो ने भी सावधानी के तौर पर 2-3 मिनट तक ट्रेनें रोकीं.

ऐसे झटकों के दौरान क्या करें?

  • किसी सुरक्षित स्थान (जैसे टेबल के नीचे या दीवार के कोने में) शरण लें.
  • लिफ्ट का इस्तेमाल न करें.
  • खिड़की या कांच से दूर रहें.
  • बाहर हैं तो खुले मैदान की ओर जाएं, इमारतों या खंभों के पास न रहें.

क्या आगे और झटके आ सकते हैं?

चूंकि यह एक कम तीव्रता का भूकंप था, इसलिए अफ्टरशॉक (झटकों के बाद के झटके) की संभावना कम है, लेकिन भूकंप के क्षेत्र में पहले भी कंपन देखे गए हैं. ऐसे में सतर्क रहना जरूरी है.