
Sex-Sorted Semen Technology: केरल (Kerala) ने जुड़वां मादा बछड़ों (Twin Female Calves) के दो सेटों के जन्म के साथ मवेशी प्रजनन के क्षेत्र में एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है, जो त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम (Accelerated Breed Improvement Programme) यानी एबीआईपी (ABIP) के तहत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. राज्य द्वारा सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक को अपनाने के बाद से यह पहली बार हुआ है, जिसका उद्देश्य मवेशियों की गुणवत्ता को बढ़ाना और किसानों के मुनाफे को अधिकतम करना है. यह योजना केंद्र सरकार के व्यापक राष्ट्रीय गोकुल मिशन का हिस्सा है और इसे मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है.
इडुक्की में सिबिचन जोसेफ (Sibichan Joseph) और कोट्टायम में टॉमी थॉमस (Tomy Thomas) नामक दो किसानों ने ऐरावत (Airawat) नामक एक बेहतर होलस्टीन फ्रीजियन बैल (Superior Holstein Friesian Bull) से सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग करके गर्भाधान के माध्यम से जुड़वां मादा बछड़ों को जन्म दिया. हालांकि इस योजना के तहत पहले से ही कई एकल मादा बछड़ों के जन्म की सूचना दी गई है, लेकिन जुड़वां मादा बछड़ों के जन्म की घटना असाधारण रूप से दुर्लभ है और इसे डेयरी उद्योग के लिए एक बड़ा बढ़ावा माना जा रहा है. केरल पशुधन विकास बोर्ड (Kerala Livestock Development Board) यानी केएलडीबी (KLDB) के प्रबंध निदेशक डॉ आर राजीव ने कहा यह केरल के डेयरी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह भी पढ़ें: VIDEO: किसान की मज़बूरी.. प्याज की बोरियों को छाती तक पानी से ले जा रहे है, सातारा के खटाव तहसील में ब्रिज नहीं होने की वजह से परेशान हुए लोग
सेक्स-सॉर्टेड सीमन तकनीक क्या है?
सेक्स-सॉर्टेड सीमन तकनीक में X गुणसूत्र वाले शुक्राणु (X Chromosome-Carrying Sperm) (जो मादा बछड़ों को जन्म देते हैं) को Y गुणसूत्र वाले शुक्राणु (Y Chromosome-Carrying Sperm) से अलग करना शामिल है. यह प्रक्रिया नाटकीय रूप से मादा संतान पैदा करने की संभावना को बढ़ाती है- 90% तक- जो डेयरी फार्मिंग में अधिक मूल्यवान होती है. इस तकनीक का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और इसे भारत में यू.एस. स्थित फर्म सेक्सिंग टेक्नोलॉजीज इंक. (Sexing Technologies Inc.) के सहयोग से पेश किया गया था, जो वीर्य की आपूर्ति करती है, लेकिन मालिकाना प्रक्रिया को बरकरार रखती है.
बहरहाल, इस सफलता के बावजूद किसानों में जागरूकता सीमित है. ABIP योजना, जो अब पूरे केरल में उपलब्ध है, वो 500 रुपये में दो बार गर्भाधान की सुविधा देती है और असफल होने पर धन वापसी की सुविधा देती है. विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापक जागरूकता और तकनीक के स्वदेशी विकास से भारत के डेयरी उद्योग में और क्रांति आ सकती है.