बेंगलुरु में हाल ही में एक दुखद घटना घटी, जिसने न सिर्फ उस परिवार को झकझोर दिया, बल्कि समाज और न्याय व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए. जौनपुर के रहने वाले 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपने जीवन को समाप्त कर लिया, लेकिन इस आत्महत्या के पीछे की कहानी केवल व्यक्तिगत संघर्ष नहीं बल्कि एक गहरे सामाजिक और कानूनी संकट को उजागर करती है.
अतुल ने अपनी आत्महत्या से पहले एक वीडियो और 24 पन्नों का एक नोट छोड़ा, जिसमें उसने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. इसके अलावा उसने भारतीय न्यायिक व्यवस्था, पुलिस और कानून में पुरुषों के प्रति भेदभाव को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की. इस लेख में हम अतुल सुभाष के जीवन के इन काले पहलुओं को जानेंगे और समझेंगे कि किस प्रकार एक व्यक्ति की आत्महत्या के पीछे की वजहें केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज और कानूनी तंत्र में छुपी असमानताओं से भी जुड़ी होती हैं.
आत्महत्या से पहले का 24 पन्नों का नोट और वीडियो
अतुल सुभाष ने अपनी आत्महत्या से पहले जो वीडियो और नोट छोड़ा, वह न केवल उसकी मानसिक स्थिति का संकेत देता है, बल्कि समाज में न्याय व्यवस्था और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाता है. वीडियो में अतुल ने अपनी पत्नी को सुसाइड के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसके अनुसार उसकी पत्नी ने पहले एक करोड़ रुपये की सेटलमेंट डिमांड की थी और बाद में उस मांग को बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये तक कर दिया था. इसके अलावा, अतुल ने यह भी आरोप लगाया कि उसे अपने बेटे का चेहरा भी देखने का अधिकार नहीं दिया गया. यह स्थिति एक ऐसी न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा थी, जो उसके लिए बेहद कष्टदायक साबित हुई.
जज और कोर्ट सिस्टम पर गंभीर आरोप
अतुल ने अपनी आत्महत्या के वीडियो में जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज पर गंभीर आरोप लगाए. उसने कहा कि जज ने उसके मामले को निपटवाने के लिए पांच लाख रुपये की रिश्वत की मांग की और साथ ही, उसकी पत्नी ने जज के सामने ही यह कहा कि उसे सुसाइड कर लेना चाहिए. जज ने इस पर ठहाका मारकर हंसी उड़ाई, जिससे अतुल का मानसिक दबाव और बढ़ गया. अतुल ने यह आरोप भी लगाया कि कोर्ट में तारीखों के लिए पेशकार को भी घूस देनी पड़ती थी, और जज ने उसे तीन करोड़ रुपये के मेंटिनेंस की मांग करते हुए दबाव भी डाला.
🔥 FULL VIDEO OF ATUL SHUBHASH: A Heart-Wrenching Tale of Injustice - Only for Those with a Strong Heart 🔥 "Everyone should know the truth about him. #JusticeForAtulSubhash #HumanRightsDay2024 pic.twitter.com/oPgSHMfWTK
— RATEINDIANPOLITICIAN.IN (@rateneta) December 10, 2024
ज्यूडिशियरी और पुलिस पर सवाल
अतुल के अनुसार, उसकी मेहनत से कमाया गया पैसा उसे और उसके परिवार को मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करने के काम आ रहा था. वीडियो में उसने यह कहा कि, "मेरे टैक्स के पैसे से अदालत, पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे जैसे लोगों को परेशान कर रहा है. अगर मैं न रहूं तो न पैसा होगा और न ही मेरे परिवार को परेशान करने की कोई वजह होगी." अतुल का यह बयान उस सिस्टम के प्रति गहरी निराशा और बेबसी को दर्शाता है, जो उसे न्याय देने के बजाय लगातार उसे मानसिक उत्पीड़न का शिकार बना रहा था.
Brother #AtulSubhash, I promise you, I won’t stay quiet after posting for just one or two days.
I will keep posting until you get justice. If you don’t get justice, I won’t write anything on this platform anymore. 😣😣#JusticeIsDue #JusticeForAtulSubhash pic.twitter.com/MGhHwRAT9J
— Sann (@san_x_m) December 10, 2024
अदालत और पुलिस के खिलाफ आरोप
अतुल ने यह भी बताया कि इस मामले में उसे अब तक 120 तारीखें मिल चुकी थीं और 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आना-जाना पड़ा था. इतना ही नहीं, उसने यह भी उल्लेख किया कि उसके माता-पिता और भाई भी इस कोर्ट के चक्कर काट रहे थे. अतुल ने यह कहा कि उसे साल में केवल 23 छुट्टियां मिलती थीं, और ऐसी स्थिति में कोर्ट केस लड़ना संभव नहीं था.
अतुल ने अपनी आत्महत्या से पहले यह इच्छा व्यक्त की कि उसकी अस्थियां तब तक विसर्जित न की जाएं, जब तक कि उसे परेशान करने वाले लोगों को सजा नहीं मिल जाती. उसने ज्यूडिशियरी से अपील की कि उसके परिवार को और अधिक परेशान न किया जाए.
बेटे के लिए छोड़ गए संदेश
अतुल सुभाष ने अपनी आत्महत्या से पहले अपने बेटे के लिए एक गिफ्ट छोड़ा, जिसे वह 2038 में खोलेगा जब वह 18 साल का होगा. उसने यह भी कहा कि उसकी आखिरी इच्छा है कि उसकी पत्नी, बेटे को उसके माता-पिता को सौंप दे ताकि उसे अच्छी वैल्यूज मिल सकें. अतुल ने अपने माता-पिता पर पूरा विश्वास जताया और कहा कि वे उसे बड़े नाज से पालेंगे.
अतुल के पिता का बयान
अतुल के पिता पवन कुमार ने अपने बेटे के आत्महत्या के बाद कहा कि अतुल ने उन्हें हमेशा यह महसूस नहीं होने दिया कि वह तनाव में था, लेकिन उसकी पत्नी और ससुरालवालों के द्वारा झूठे आरोप और तीन करोड़ रुपये की मांग ने उसे मानसिक रूप से नष्ट कर दिया था. पवन कुमार के अनुसार, यह सच्चाई है कि अतुल इस पूरे मामले में बहुत दबाव में था, लेकिन उसने कभी भी इसे अपने परिवार के सामने जाहिर नहीं किया.
2019 में हुई थी शादी, इसके बाद शुरू हुआ संघर्ष
अतुल की शादी 2019 में हुई थी, और उसके बाद से ही पत्नी ने उसे दहेज उत्पीड़न, हत्या और आप्राकृतिक यौन शोषण जैसे गंभीर आरोपों में फंसा दिया था. इन आरोपों ने अतुल को मानसिक रूप से परेशान कर दिया था और उसके खिलाफ कानूनी लड़ाई भी बेहद कठिन हो गई थी.
अतुल ने 9 दिसंबर को सुबह करीब छह बजे अपने घर में सुसाइड किया. पुलिस को सूचना मिली कि उसने बेडरूम में सीलिंग फैन से लटककर आत्महत्या की है. घटना के बाद, स्थानीय पुलिस ने बीएनएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और जांच शुरू की.
यह घटना केवल एक व्यक्ति की आत्महत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करती है. अदालतों में लंबित मामलों, महिलाओं के खिलाफ झूठे आरोप, न्यायिक प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और पुलिस की निष्क्रियता से न केवल अतुल सुभाष जैसे लोगों का जीवन प्रभावित हुआ, बल्कि उनके परिवारों को भी मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होना पड़ा. अतुल की आत्महत्या ने भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है, ताकि किसी भी व्यक्ति को ऐसे भयंकर मानसिक दबाव से गुजरने की आवश्यकता न हो.