कोलकाता (Kolkata) के एक अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट की घटना के मामले ने तूल पकड़ लिया है. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के समर्थन में देश के कई हिस्सों में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहा है. कोलकाता से शुरु हुए इस प्रदर्शन ने शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का रूप ले लिया. राजधानी दिल्ली के एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स भी अब इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं. शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 14 बड़े अस्पतालों समेत 18 अस्पतालों ने शनिवार को हड़ताल पर रहने का ऐलान किया है. इस हड़ताल में 10 हजार से ज्यादा डॉक्टर शामिल हो रहे हैं.
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के बैनर तले इन सभी अस्पतालों के डॉक्टरों ने हड़ताल की पूर्व लिखित सूचना अपने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को दे दी है. देश भर में डॉक्टरों के हड़ताल में जाने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से हिंदुस्तान के कई हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है. दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (DMA) और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) ने भी समर्थन दिया और इसकी निंदा करते हुए 17 जून को देश व्यापी स्ट्राइक की घोषणा की.
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दिल्ली में इन अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर
शनिवार को दिल्ली के जिन अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे उनमें एम्स, सफदरजंग हॉस्पिटल, बाबा साहब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, हिंदूराव हॉस्पिटल, बीएमएच दिल्ली, दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल, संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज (IHBAS), श्री दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, नॉर्दन रेलवे सेंट्रल हॉस्पिटल, ईएसआईसी हॉस्पिटल, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल और गुरु गोविंद सिंह हॉस्पिटल समेत अन्य हॉस्पिटल शामिल हैं.
ममता बनर्जी की चेतावनी के बावजूद हड़ताल जारी
बता दें कि हड़ताली डॉक्टरों ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया है. इससे पहले शुक्रवार कोलकाता हाईकोर्ट ने भी साफ कह दिया कि ममता बनर्जी सरकार डॉक्टरों से बातचीत करके विवाद को सुलझाए. इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर कहा कि वो डॉक्टरों की हड़ताल के मौजूदा गतिरोध को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर सुलझाएं.
क्या है पूरा मामला
10 जून को नील रत्न सरकार (NRS) मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक 75 वर्षीय मरीज की मौत हो गई थी. इससे गुस्साए परिजनों ने हॉस्पिटल में पहुंचकर डॉक्टरों को गालियां दी थी. इसके बाद डॉक्टरों ने माफी मांगने को कहा. उन्होंन कहा कि जब तक मृतक के परिजन हमसे माफी नहीं मांगते हैं, तब तक हम प्रमाण पत्र नहीं देंगे. इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और हिंसक रूप ले लिया. कुछ देर बाद हथियारों के साथ भीड़ ने हॉस्पिटल में हमला कर दिया, जिसमें दो जूनियर डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके अलावा कई और डॉक्टरों को चोटें आईं.
अब तक 300 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा
इसके बाद जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए, जिसकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी निंदा की. ममता बनर्जी ने डॉक्टरों को हड़ताल खत्म करने की चेतावनी भी दी, लेकिन डॉक्टर नहीं माने और हड़ताल जारी रखी. पश्चिम बंगाल में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हिंसा के खिलाफ जारी डॉक्टरों के आंदोलन के बीच राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के करीब 300 डॉक्टर्स ने सेवा से इस्तीफा दे दिया है.