भोपाल, 2 जनवरी : भोपाल के यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) परिसर में पिछले 40 वर्षों से पड़े जहरीले कचरे को आखिरकार बुधवार को इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर धार जिले के पथमपुर डंपिंग साइट पर शिफ्ट कर दिया गया. भोपाल से बुधवार देर रात प्रशासन और पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 12 कंटेनर ट्रकों में लगभग 337 मीट्रिक टन रासायनिक अपशिष्ट पीथमपुर के लिए रवाना हुआ.
यूसीआईएल और पीथमपुर के बीच लगभग 250 किलोमीटर की दूरी को कवर करने के लिए एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. 2 -3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट लीक हुई थी. जिससे करीब 5,479 लोगों की मौत हो गई थी. हजारों लोगों लंबे वक्त तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझते रहे. इसे दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है. यह भी पढ़ें : 2025 में यूपी में होगा ताबड़तोड़ विकास! साल के अंत तक पूरे हो जाएंगे ये बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स
भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल:
VIDEO | 40 years after the Bhopal gas tragedy, the shifting of around 337 tons of hazardous waste began from the defunct Union Carbide factory on Wednesday night for its disposal.
The toxic waste is being shifted in 12 sealed container trucks to the Pithampur industrial area in… pic.twitter.com/lSDjTddoZ8
— Press Trust of India (@PTI_News) January 2, 2025
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर को जहरीले पदार्थ को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय-सीमा तय की थी और कहा था कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अधिकारी "निष्क्रियता की स्थिति" में हैं. न्यायालय ने सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाएगी.
रविवार से अब तक 30 मिनट की शिफ्ट में सौ से ज्यादा लोगों ने कचरा पैक किया है. उनकी स्वास्थ्य जांच की गई और हर 30 मिनट में उन्हें आराम दिया गया. जहरीले कचरे को ले जाने वाले सभी 12 विशेष कंटेनरों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है. प्रत्येक कंटेनर रिसाव-रोधी, अग्निरोधी हैं और जीपीएस ट्रैकिंग से लैस हैं.
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया, "पीथमपुर का संयंत्र विशेष रूप से राज्य भर में औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पन्न कचरे के सुरक्षित भस्मीकरण के लिए बनाया गया है. वर्ष 2015 में यूसीआईएल के 10 मीट्रिक टन कचरे के निपटान के लिए सीपीसीबी की निगरानी में सभी निर्धारित सुरक्षा मापदंडों का पालन करते हुए एक ट्रायल रन किया गया था."