उत्तराखंड पुलिस बच्चों को भिक्षावृत्ति के दलदल से निकालने के लिए दोबारा शुरू करेगी 'ऑपरेशन मुक्ति'
उत्तराखंड पुलिस (Photo Credits: IANS)

भिक्षावृत्ति की प्रवृत्ति को समाप्त कर इसमें लिप्त बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए चलाये गये ऑपरेशन मुक्ति की सफलता से उत्साहित उत्तराखंड (Uttarakhand) पुलिस अब जल्द ही इसे दोबारा शुरू करेगी. पूर्व में दो माह तक चली इस कवायद से प्रदेश भर में भिक्षा मांगने वाले 68 बच्चों को न केवल इस बुरी प्रथा से मुक्ति दिलायी गयी बल्कि उन्हें पुनर्वासित कर अन्य बच्चों की तरह स्कूल में दाखिल भी कराया गया जिससे वे भी शिक्षा ग्रहण कर एक उज्ज्वल भविष्य की राह पर चल सकें.

इन 68 बच्चों में से 11 वर्षीय राजू को द्रष्टिहीन होने के चलते यहां देहरादून स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान एनआइवीएच में दाखिला दिलाया गया है. अन्य 67 बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था, अशोक कुमार ने कहा कि आपरेशन मुक्ति के बाद प्रदेश भर में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों की संख्या में काफी कमी आयी है और इसकी सफलता को देखते हुए हम इसे जल्द ही दोबारा शुरू करेंगे.

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उन्होंने कहा कि इस काम में लगे बच्चों को इससे बाहर निकालना एक बडी चुनौती है क्योंकि ज्यादातर मामलों में इन बच्चों के माता-पिता ही इनसे भिक्षावृत्ति कराते हैं. हालांकि उन्होंने उम्मीद जतायी कि भिक्षावृत्ति पर प्रभावी रोकथाम, जागरूकता और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के पुनर्वास के अपने लक्ष्य में पुलिस सफल होगी.

इस साल एक मई से 30 जून तक तीन चरणों में चलाये गये 'आपरेशन मुक्ति' के तहत पुलिस ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स भी बनाये और इन्हें प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया. धार्मिक नगरी हरिद्वार में भिक्षावृत्ति की प्रवृत्ति के ज्यादा होने के मद्देनजर वहां ज्यादा ध्यान किया गया. देहरादून में भी शहर के ऐसे इलाके चिन्हित किए गए जहां बच्चे भिक्षावृत्ति में ज्यादा लिप्त रहते हैं.

इन इलाकों में दर्शन लाल चौक, परेड ग्राउंड, एश्ले हॉल, आइएसबीटी, रिस्पना पुल, पैसिफिक मॉल, रेलवे स्टेशन, दिलाराम चौक, प्रिंस चौक, बल्लूपुर चौक आदि स्थानों पर लगातार अभियान चलाया गया. पहले चरण में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों और उनके परिवारों का विवरण तैयार किया गया जबकि दूसरे चरण में समस्त स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों, सिनेमाघरों और बस तथा रेलवे स्टेशनों तथा धार्मिक स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न देने के लिये जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया.

इस अभियान में बच्चों को जबरन भिक्षावृत्ति में धकेलने वाले व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के अलावा बच्चों के परिवारजनों को भी समझाया गया कि भिक्षावृत्ति एक बुराई है. तीसरे चरण में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को इससे हटाकर उनके परिजनों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर कार्रवाई करना तथा किसी प्रकार का संदेह होने पर डीएनए टेस्ट की कार्रवाई करना शामिल है. अभियान के तहत भीख मांगने, कूडा बीनने, गुब्बारा बेचने आदि कार्यों में लगे 292 बच्चों का विवरण तैयार किया गया.