लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजना- एक जनपद, एक उत्पाद (ओडीओपी) से प्रदेश के कारीगरों और शिल्पकारों की जिंदगी संवार रही है. ओडीओपी (One District One Product) ने आज आधुनिकता के आगे गुमनामी के अंधेरे में लुप्त हो रहे पुश्तैनी हुनरमंदों को असल पहचान दिलाई है. दरअसल ओडीओपी एक ऐसा मंच उपलब्ध करा रही है, जिसके सहारे हस्तनिर्मित कलाकृतियों समेत तमाम विशिष्ट उत्पाद न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी पहुंच रहे है और खूब सराहे जा रहे है. आजमगढ़ (Azamgarh) के निजामाबाद (Nizamabad) की महीन काली मिट्टी (Black Clay) से निर्मित हस्तशिल्प उत्पाद एक सांस्कृतिक धरोहर हैं. यहां के कुम्हारों द्वारा बनाये जाने वाले बर्तन विश्व प्रसिद्ध हैं. UP में ओडीओपी वर्चुअल मेले को मिली बड़ी सफलता
वैसे तो यूपी के आजमगढ़ जिले का औद्योगिक आधार बहुत मजबूत नहीं है, लेकिन यह काली मिट्टी के बर्तनों के उत्पादन में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां निर्मित काली मिट्टी की सुंदर कलाकृतियां लोगों को खूब भाती हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने ट्वीट कर कहा कि “एक जनपद-एक उत्पाद” योजना के तहत इस सदियों पुरानी कला को पुनर्जीवित किया जा रहा है और कौशलपूर्ण शिल्पकारों को सुविधा, सम्मान और रोजगार प्राप्त हो रहा है.
आजमगढ़ के निजामाबाद की महीन काली मिट्टी से निर्मित हस्तशिल्प उत्पाद हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं।
“एक जनपद-एक उत्पाद” योजना के तहत इस सदियों पुरानी कला को पुनर्जीवित किया जा रहा है और कौशलपूर्ण शिल्पकारों को सुविधा, सम्मान और रोजगार प्राप्त हो रहा है।#ODOP pic.twitter.com/gsdYjQIhUQ
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 11, 2020
आजमगढ़ जिले के निजामाबाद क्षेत्र में एक विशेष प्रकार की काली मिट्टी से अद्भुत बर्तनों का निर्माण किया जाता है. यहां करीब 200 से अधिक कारीगर इन बर्तनों को तैयार करते है. यहां के कुम्हार गुलदस्ते, चाय के बर्तन, चीनी के बर्तन व अन्य कलात्मक बर्तनों का निर्माण करते हैं. जिसका सजावट के साथ ही दैनिक काम में भी उपयोग किया जाता है. जबकि पर्वों व त्योहारों के लिए विशेष तौर पर मिट्टी के बर्तन व देवी देवताओं की मूर्तियाँ विशेषकर गणेश, लक्ष्मी, शिव, दुर्गा और सरस्वती की मूर्तियां निर्मित की जाती हैं.
इस जनपद का एक पुरातन उद्योग बर्तन उद्योग अभी भी यहां के लोगों को रोजगार मुहैया करवाता है. दरअसल यहां विशिष्ट काली मिट्टी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. जबकि कुम्हार बर्तनों को विशेष काला रूप उन्हें मिट्टी व सब्जियों के पानी में डुबाकर देते है. इसके बाद इन बर्तनों को और अधिक सुंदर बनाने के लिए उनपर पारा, रांगा व जस्ते का प्रयोग किया जाता है. देश-विदेश में आजमगढ़ की इस अनोखी देन की बहुत मांग है.