लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई के मामले में पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. यूपी पुलिस ने बुधवार को बताया कि लोनी (Loni) में पांच जून को बुजुर्ग से मारपीट करने वाले कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, साथ ही गलत तथ्य बताने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. राहुल गांधी ने गाजियाबाद की घटना को शर्मनाक बताया, सीएम योगी बोले- जनता को अपमानित करना छोड़ दें
गाजियाबाद (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक (एसपी) इराज राजा (Iraj Raja) के अनुसार, लोनी में हुई घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं पाया गया. उन्होंने बताया "मामले में कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. हम उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. शिकायतकर्ता ने शुरू में हमें बताया था कि उसका आरोपी के साथ कोई पूर्व संपर्क नहीं था, लेकिन उनके कॉल रिकॉर्ड संबंध जाहिर करते हैं. गलत जानकारी देने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे.”
गाजियाबाद पुलिस ने मंगलवार को लोनी की घटना के सिलसिले में ट्विटर इंडिया सहित नौ संस्थाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित करने के सिलसिले में माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर, एक समाचार पोर्टल और छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इस वीडियो में बुजुर्ग कुछ लोगों के कथित हमले के बाद अपनी व्यथा सुनाता दिख रहा है. पुलिस का कहना है कि यह वीडियो साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए साझा किया गया था.
पुलिस ने क्लिप साझा करने को लेकर ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशन्स इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकारों मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब, कांग्रेस के नेताओं सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी, डॉ शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘इन लोगों ने मामले की सच्चाई की पुष्टि नहीं की और सार्वजनिक शांति को बाधित करने एवं धार्मिक समूहों के बीच विभाजन के इरादे से इसे साम्प्रदायिक पहलू देकर ऑनलाइन साझा किया.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इसके अलावा, ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशन्स इंडिया ने भी इन ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.’’
सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए वीडियो क्लिप में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया कि कुछ युवकों ने उनकी पिटाई की और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा, लेकिन अब गाजियाबाद पुलिस ने जांच के बाद घटना के पीछे कोई साम्प्रदायिक कारण होने से इनकार किया और कहा कि आरोपी उस ताबीज से नाखुश थे जो सैफी ने उन्हें बेचा था.
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया था कि सैफी पर हमला करने वालों में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम व्यक्ति भी शामिल थे और यह घटना साम्प्रदायिक नहीं थी, बल्कि उनके बीच निजी विवाद का परिणाम थी. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कल्लू गुर्जर, प्रवेश गुर्जर, आदिल, पोली, हिमांशु, आरिफ और मुर्शिद पर लोनी में सैफी को पीटने का आरोप है.