लखनऊ: रघुनंदन के स्वागत को अयोध्या में संस्कृतियों की सतरंगी छटा विखरेगी. एक दो नहीं, गुजरात से लेकर बुंदेलखण्ड तक सात अनूठी संस्कृतियों के दर्शन सरयू तट पर एक साथ होंगे. योगी सरकार ने दीपोत्सव को खास बनाने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, ब्रज और बुंदेलखण्ड के लोक कलाकारों के साथ ही स्थानीय कलाकारों को भी अयोध्या बुलाया है.
सरयू तट पर लाखों की संख्या में झिलमिलाते दीपों के बीच संस्कृतियों और लोक कलाओं की सतरंगी छटा सोलह श्रृंगार कर सजी अयोध्या को अदभुत और अलौकिक बनाएगी. दुनिया भर में आकर्षण और कौतूहल का केंद्र बनी अयोध्या में दीपोत्सव के जरिये योगी सरकार समूचे विश्व को भारत के सांस्कृतिक वैभव का संदेश भी देने जा रही है.
दीपोत्सव के जरिये योगी सरकार खास तौर से बुंदेलखण्ड के लोक कलाकारों को विश्वस्तरीय मंच देगी. राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने बुंदेलखण्ड की दीवारी टोली को विशेष तौर पर दीपोत्सव में शामिल किया है. दोहा,छंद,चौपाई की तान, ढोल की थाप और थाली की छन, छन की धुन पर मस्त बुंदेली जवानों की नृत्य करती टोली दीपोत्सव को अपने अनूठे अंदाज में खास बनाएगी.
बांदा के बड़ोखर खुर्द के रमेश पाल की बुंदेली दीवारी टोली को अयोध्या के दीपोत्सव पर प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है. देश और विदेश में अलग अलग समय पर अपनी कला का जलवा विखेर चुके दीवारी के इन कलाकारों को योगी सरकार अब तक का सबसे बड़ा मंच देने जा रही है. दीवारी टोली के 15 सदस्य अयोध्या पहुंच कर तैयारियों में जुट गए हैं. शुक्रवार को सरयू तट पर रामकथा पार्क में देश भर के अन्य कलाकारों के साथ ही बुंदेलखण्ड के कलाकारों की टोली भी अपने हुनर का प्रदर्शन करेगी. सरयू तट पर बुंदेलखण्ड के कलाकारों को सबसे बड़ा मंच देने के पीछे योगी सरकार की मंशा बुंदेलखण्ड के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को गति देने की है. भगवान राम के साथ बुंदेलखण्ड का रिश्ता बहुत खास है. चित्रकूट में भगवान राम की तपस्या से लेकर उनके पुत्रों लव कुश की कथाएं भी बुंदेलखण्ड की संस्कृति में समाहित हैं. झांसी के पास मध्य प्रदेश के ओरछा में शासक के तौर राम राजा मंदिर से अयोध्या का रिश्ता अभिन्न है.
भगवान राम के पुष्पक विमान के अयोध्या की धरती पर उतरने के साथ ही देश के अलग अलग प्रदेशों से आए विभिन्न संस्कृतियों के कलाकार अपने अनूठे अंदाज में स्वागत की शुरुआत करेंगे.