भोपाल, 10 मई : मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव बगैर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के कराए जाने का सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए सरकार को 15 दिन में अधिसूचना जारी करने को कहा है. सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद राज्य की सियासत गर्मा गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने रिव्यू पिटीशन दायर करने की बात कही है तो कांग्रेस ने इसे आरक्षण खत्म करने की भाजपा की साजिश का हिस्सा बताया है. सर्वोच्च न्यायालय में कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर ने पंचायत चुनाव आरक्षण के रोटेशन के आधार पर कराए जाने की याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई चली. पहले ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने पर तकरार चली, फिर सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट पेश करते हुए ओबीसी को 35 फीसदी आरक्षण की पैरवी की. वहीं सरकार ट्रिपल टेस्ट नहीं करा सकी.
इस मामले में याचिका दायर करने वाले सैयद जाफर ने बताया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से कहा है कि वह 15 दिन में पंचायत व नगर पालिका के चुनाव की अधिसूचना जारी करे. ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की रिपोर्ट को अधूरा माना. इस आधी अधूरी रिपोर्ट के कारण ओबीसी वर्ग को पंचायत और नगर पालिका चुनाव में आरक्षण नहीं मिलेगा. बताया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि पांच साल में चुनाव कराना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है. ओबीसी को तय शतरें को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता. दो हफ्ते में अधिसूचना जारी की जाए. सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के बाद रिव्यू पिटीशन दायर करेगी. यह भी पढ़ें :
वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने ओबीसी को आरक्षण न मिलने को भाजपा की साजिश का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, शिवराज सरकार की वजह से प्रदेश की 56 प्रतिशत आबादी को भाजपा सरकार के षड्यंत्र के कारण अपने वाजिब अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा. पिछड़ा वर्ग से ही संबंधित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, यह सौदा और षड्यंत्र भविष्य में आपके लिए घातक होगा. उन्होंने आगे कहा, हमें इसी बात की आशंका थी. अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर सरकार की घोर लापरवाही के कारण, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का वह एजेंडा लागू हो गया है जिसमें आरक्षण समाप्ति की बात की गई थी .