नई दिल्ली: संसद का बजट (Budget 2022-23) सत्र 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. हर साल की तरह ही इस साल भी केंद्रीय बजट से आम आदमी को राहत के साथ कई खुशखबरी मिलने की उम्मीद है. नौकरीपेशा हो या व्यापारी सभी को इनकम टैक्स (Income Tax) से जुड़ी घोषणाओं में सबसे ज्यादा रूचि होती है. हालांकि हर बजट में आयकर दरों और स्लैब (Income Tax Slab) की समीक्षा की जाती है. लेकिन, 2014 के बाद से इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. तो क्या वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) मंगलवार को बजट में स्लैब में बदलाव कर टैक्सपेयर्स को राहत देंगी?
केंद्रीय बजट में रोजगार सृजन, बुनियादी कर छूट की सीमा में वृद्धि, मानक कटौती, चिकित्सा व्यय, कर दरों का युक्तिकरण और कुछ सामाजिक सुरक्षा निवेशों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है. इस समय, आईटी अधिनियम की धारा 16(1ए) करदाता की वेतन आय से 50,000 रुपये की मानक कटौती का प्रावधान करती है. इस कटौती को वित्त अधिनियम 2019 द्वारा 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया था और तब से इसे बढ़ाया नहीं गया है. बजट: 80सी के तहत सीमा बढ़ने, इलेक्ट्रिक वाहनों पर शुल्कों को युक्तिसंगत किए जाने की उम्मीद
आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा ने कहा, "अगर मूल छूट सीमा में कोई वृद्धि नहीं होती है तो बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत को देखते हुए वेतनभोगी कर्मियों के लिए इस तरह की मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये करने की जरूरत है." इस समय धारा 80 टीटीए के तहत केवल बैंकों/सहकारी समितियों/डाकघरों में बचत बैंक खातों से ब्याज के मद में 10,000 रुपये तक की कटौती की जाती है.
सुराणा ने कहा कि अधिकांश करदाताओं को इस कर लाभ का लाभ उठाने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से इस अनुभाग के मौजूदा दायरे को अन्य प्रकार के ब्याज जैसे बैंक/डाकघर में सावधि जमा, आवर्ती जमा आदि पर ब्याज को कवर करने के लिए विस्तारित करने की जरूरत है. इसके अलावा 10,000 रुपये की ऐसी सीमा को भी बढ़ाकर 20,000 रुपये करने की जरूरत है, क्योंकि वित्त अधिनियम 2012 द्वारा इसकी शुरुआत के बाद से सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा भत्ता (प्रति बच्चा 100 रुपये), बाल छात्रावास व्यय भत्ता (प्रति बच्चा 300 रुपये) जैसी नगण्य ऊपरी सीमाओं के साथ कई छूट उपलब्ध हैं. ऐसी कटौतियों के संबंध में सीमा वर्तमान शिक्षा लागत के अनुरूप नहीं है और इसे मुद्रास्फीति के लिए समायोजित करने और तदनुसार बढ़ाने की जरूरत है. इसके अलावा, धारा 64(1ए) के तहत नाबालिग की आय को जोड़ने के समय लागू 1500 रुपये के तहत छूट की सीमा को अंतिम बार 1993 में संशोधित किया गया था और इस प्रकार, इसमें ऊपरी संशोधन का लंबे समय से इंतजार है. पिछले 28 वर्षो में मुद्रास्फीति को देखते हुए ऐसी छूट की सीमा को बढ़ाकर 15,000 रुपये किया जा सकता है.
सुराणा ने कहा कि बच्चों से संबंधित सभी कटौतियों को 20,000 रुपये प्रति बच्चे की एकल समेकित कटौती में समेकित करना सार्थक हो सकता है. अग्रिम कर के भुगतान के लिए 10,000 रुपये की सीमा को अंतिम बार वित्त अधिनियम, 2009 द्वारा संशोधित किया गया था.
सुराणा ने कहा कि पिछले 12 वर्षो में अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के साथ-साथ अनुपालन बोझ को कम करने पर विचार करते हुए कटौती सीमा को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये करने की जरूरत है.
वहीं, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने आगामी आम बजट में कर और लेखा संबंधी 14 सुधारों की मांग की है. आईसीएआई के अध्यक्ष निहार एन जंबूसरिया ने शनिवार को कहा कि ये सुझाव कानून को सरल, निष्पक्ष, पारदर्शी और उपभोक्ता के अनुकूल बनाने के लिए हैं.
उन्होंने, ‘‘हमारी ओर से 14 सुझाव हैं जो केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा-शुल्क बोर्ड को विचार के लिए भेजे गए हैं.’’ चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्था की तरफ से भेजे गए सुझावों में व्यापार में हुए नुकसान को बीते वर्ष के कर रिटर्न में शामिल करने और इसके आवेदन के लिए उपयुक्त विधायी संशोधन पेश करना भी शामिल हैं. यह आतिथ्य, यात्री परिवहन और कुछ अन्य क्षेत्रों के लिए प्रासंगिक है.