अगरतला: त्रिपुरा में बीजेपी वापसी की राह पर है. रूझानों में बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया है. त्रिपुरा में पूरी 60 सीटों पर रुझान आ चुके हैं और बीजेपी बहुमत का आंकड़ा हासिल कर चुकी है. बीजेपी ने त्रिपुरा में एक बार फिर कमाल दिखाया है. 2018 से पहले जिस राज्य में बीजेपी के लिए विपक्ष का दर्जा हासिल करना भी मुश्किल था वहां मोदी मैजिक के दम पर पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में सभी को चौंकाते हुए लेफ्ट के 25 साल के शासन को ध्वस्त कर दिया और प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई. Tripura Election Result 2023: त्रिपुरा में किस सीट पर कौन जीता? यहां चेक करें पूरी लिस्ट.
इस बार बीजेपी को हारने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट ने हाथ मिला लिया लेकिन बीजेपी फिर जीत की राह पर है. इस चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए ममता बनर्जी की टीएमसी ने भी राज्य में अपनी चुनावी किस्मत आजमाई लेकिन बीजेपी का विजय रथ नहीं रूका. यहां हम आपको त्रिपुरा में बीजेपी की जीत के 5 बड़े कारण बता रहे हैं.
मजबूत सियासी जनाधार
पीएम मोदी की लोकप्रियता और सही रणनीति का फायदा बीजेपी को एक मजबूत सियासी जनाधार के रूप में मिला. बीजेपी ने त्रिपुरा में 2018 में जो सत्ता की कुर्सी संभाली तो 5 सालों में पार्टी को सूबे में और मजबूती दिलाई. बीजेपी को अपनी योजनाओं का फायदा मिलता दिख ही रहा है. डबल इंजन सरकार पर लोगों ने भरोसा दिखाई.
माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया
जनता के मन को भांपते हुए बीजेपी ने यहां मुख्यमंत्री बदल कर खुद पर भरोसा बरकरार रखने की कोशिश की. समय रहते जो बिल्पल देव की जगह माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया गया उसका सकारात्मक परिणाम पार्टी को मिल रहा है. मुख्यमंत्री माणिक साहा की लोकप्रियता लोगों के बीच में अच्छी है. मुख्यमंत्री में फेरबदल से बीजेपी को हर सीट से बंपर वोट मिले.
पूर्वोत्तर में खिला कमल
पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से पूर्वोत्तर में बीजेपी का विस्तार हुआ है. पीएम मोदी ने यह जताया कि पूर्वोत्तर के तमाम राज्य भी बीजेपी के लिए उत्तर भारत के बड़े राज्यों जैसे ही मायने रखते हैं. पीएम मोदी की कोशिश और लोकप्रियता से पूर्वोत्तर बीजेपी के वोटर बढ़ते गए. बीजेपी ने पहले असम में सरकार बनाई, फिर मणिपुर में सत्ता में आए फिर त्रिपुरा में भी कमाल किया जिससे पूर्वोत्तर का भरोसा बीजेपी पर बढ़ा.
महिला वोटर
महिला वोटर किसी भी पार्टी की जीत में बड़ी भूमिका निभाती हैं. पिछले कुछ सालों में महिला वोटर्स का झुकाव बीजेपी की तरफ हुआ है. पीएम मोदी भी अपनी तमाम रैलियों और सभाओं में महिला वोटर्स तक सीधी बात पहुंचाते हैं और उनकी घरेलू समस्याओं को भी उजागर करते हैं. इसी कारण त्रिपुरा में भी बीजेपी को महिला वोटर का फायदा मिला.
नहीं बन पाया एंटी इनकंबेंसी का माहौल
बीजेपी की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य नेता धुआंधार प्रचार करते रहे. इसकी वजह से राज्य में एंटी इनकंबेंसी का माहौल नहीं बन पाया. इसका सीधा फायदा सत्ताधारी बीजेपी को मिलता नजर आ रहा है. विपक्ष ने तमाम मुद्दों को उठाकर एंटी इनकंबेंसी का माहौल बनाने की कोशिश की लेकिन बीजेपी ने त्रिपुरा सरकार और केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों की ओर जनता का फोकस कर विपक्ष को फिर ढेर कर दिया.