India Maldives Row: इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती... मालदीव विवाद पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर
Dr. S. Jaishankar s (Photo Credit: ANI)

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने हाल ही में मालदीव के साथ चल रहे राजनयिक विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती कि हर देश हर समय भारत का समर्थन करेगा या उससे सहमत होगा. नागपुर में एक टाउनहॉल बैठक में मालदीव के साथ हालिया मतभेद के बारे में पूछे जाने पर एस जयशंकर ने कहा, "राजनीति तो राजनीति है" और इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती कि हर देश हर बार भारत का समर्थन करेगा या हम से सहमत होगा. जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने पिछले 10 वर्षों में बहुत सफलता के साथ मजबूत संबंध बनाने की कोशिश की है.'' Maldives On Indian Army: मालदीव की धमकी! 15 मार्च से पहले मालदीव छोड़े भारतीय सेना, चीन से लौटे राष्ट्रपति मुइज्जू के बिगड़े तेवर.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘राजनीति में उतार-चढ़ाव चलते रहता है, लेकिन उस देश के लोगों में आम तौर पर भारत के प्रति अच्छी भावनाएं हैं और वे अच्छे संबंधों के महत्व को समझते हैं.'' उन्होंने यह भी कहा कि भारत वहां सड़कों, बिजली पारेषण लाइन, ईंधन की आपूर्ति, व्यापार पहुंच प्रदान करने, निवेश में शामिल रहा है.

विदेश मंत्री ने कहा कि ये इस बात को दिखाता है कि कोई रिश्ता कैसे विकसित होता है, हालांकि कभी-कभी चीजें सही रास्ते पर नहीं चलती हैं और इसे वापस वहां लाने के लिए लोगों को समझाना पड़ता है जहां इसे होना चाहिए.

चीन को लेकर क्या बोले विदेश मंत्री

एस जयशंकर ने कहा कि सीमा पर गतिरोध के बीच चीन को संबंधों के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में ‘भू-राजनीति में भारत का उदय’ विषय पर कहा कि कूटनीति जारी रहती है और कभी-कभी कठिन परिस्थितियों का समाधान जल्दबाजी में नहीं निकलता है. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमाओं पर आपसी सहमति नहीं है और यह निर्णय लिया गया था कि दोनों पक्ष सैनिकों को इकट्ठा नहीं करेंगे और अपनी गतिविधियों के बारे में एक दूसरे को सूचित रखेंगे, लेकिन पड़ोसी देश ने 2020 में इस समझौते का उल्लंघन किया.

जयशंकर ने कहा कि चीन बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ले आया और गलवान की घटना हुई. विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने चीनी समकक्ष को बताया है कि ‘‘जब तक सीमा पर कोई समाधान नहीं निकलता, उन्हें अन्य संबंधों के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.’’