पटना, 29 मार्च : बिहार में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से निकाले जाने के बाद अब राज्य की सियासत की परिदृश्य बदलने के कयास लगाए जाने लगे हैं. वीआईपी के राजग से निकाले जाने के बाद कांग्रेस ने वीआईपी को साथ आने का ऑफर दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस, वीआईपी सहित अन्य कई छोटे दल साथ आ सकते हैं. वीआईपी के राजग से बाहर जाने के बाद उसके राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ जाने की संभावना देखी जा रही थी, क्योंकि हाल ही में वीआईपी प्रमुख लालू प्रसाद की खूब तारीफ करते नजर आ रहे थे.
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इस संभावना को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मुकेश सहनी को अब लालू प्रसाद क्यों याद आ रहे हैं? राजद में मुकेश सहनी के लिए कोई जगह नहीं है. पार्टी में पहले ही कई बड़े निषाद नेता मौजूद हैं. उल्लेखनीय है कि राजद और कांग्रेस में भी फिलहाल रिश्ते सही नजर नहीं आ रहे हैं. पिछले समय तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में भी दोनों दलों में खटास पैदा हो गई थी, जो आज भी मौजूद है. यही कारण माना जा रहा है कि विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा के पूर्व राजद ने कांग्रेस के नेताओं से बातचीत करना तक उचित नहीं समझा. इस कारण दोनों दल चुनावी मैदान में अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. यह भी पढ़ें : राजीव गांधी अस्पताल के हृदय रोग विभाग में पिछले दो साल में 218 मरीजों की मौत हुई है : दिल्ली सरकार
इधर, कांग्रेस ने अब वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी को साथ में आने का ऑफर दिया है. कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा कि अगर मुकेश सहनी पार्टी में आने चाहते हैं तो उनका स्वागत है. उनके लिए कांग्रेस का दरवाजा खुला है. इस बीच, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में फूट पड़ने के बाद लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान भी विपक्षी दलों के महागठबंधन और राजग के साथ समान दूरी बनाकर आगे बढ रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि जमुई के सांसद चिराग पासवान दोनों गठबंधनों को लेकर 'कंफर्ट' नहीं हैं, इस कारण वे अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं.
वैसे, अब तक किसी भी दल में भविष्य को लेकर योजनाओं को लेकर अपना मुंह नहीं खोला है. वीआईपी के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर इतना जरूर कहते हैं कि वीआईपी के विलय का प्रश्न ही नहीं उठता ही नहीं है. उन्होंने कहा कि वीआईपी फिर से जनता के बीच जाएगी और संघर्ष करेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार में पिछले कई सालों के इतिहास को देखे तो बिना गठबंधन में शामिल हुए, आगे की राह आसान नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि फिलहाल के दल भी 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में हैं, लेकिन भविष्य में ये साथ आ भी जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.