किसानों को केंद्र सरकार ने दिया तोहफा, ब्याज कम होने से मिलेगा सस्ता लोन
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: PTI)

सत्ता में आने के बाद से केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. किसान सम्मान नीधि से लेकर फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट जैसी कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. ऐसे में किसानों को राहत देते हुए केंद्रीय मंत्रीमंडल ने एक और अहम फैसला लिया है. जिसके तहत इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को मंजूरी दी है. इसके तहत तीन लाख रुपये तक का लोन लेने वाले किसानों को ब्याज में 1.5 परसेंट की छूट मिलेगी.

पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने किसानों को सस्ती दरों पर लघु ऋण मुहैया कराने की अपनी योजना में अब वित्तीय संस्थानों को 1.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अनुदान की बहाली को मंजूरी प्रदान की है. इससे कृषि क्षेत्र में पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित होगा. इसके लिए सरकार ने 34,856 करोड़ का अतिरिक्त बजटीय प्रावधान किया है.

केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि 1.5 प्रतिशत का ब्याज अनुदान उधार देने वाले संस्थानों जैसे- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक और वाणिज्यिक बैंकों से सीधे तौर पर जुड़े कम्प्यूटरीकृत पीएसीएस को किसानों को वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक 3 लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण देने के लिए प्रदान किया जाएगा.

किसानों को कैसे होगा लाभ

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार किसी भी समय ऋण पर कृषि उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड लाई थी. किसानों को बैंक से कम दरों पर ऋण मिले इसके लिए ब्याज अनुदान योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत कृषि और अन्य संबद्ध गतिविधियों के लिए 7 प्रतिशत की सालाना दर से 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक कृषि ऋण उपलब्ध है. शीघ्र और समय पर ऋण की अदायगी के लिए किसानों को अतिरिक्त 3 प्रतिशत अनुदान (शीघ्र अदायगी प्रोत्साहन-पीआरआई) भी दिया जाता है.

उन्होंने बताया कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर योजना से अतिरिक्त बोझ न पड़े इसके लिए मई 2020 तक सरकार ने बैंकों को दो प्रतिशत का अनुदान दिया. इसके बाद बैंकों के लिए इस प्रावधान को हटा लिया गया. वहीं इस साल जून और जुलाई में दो बार आरबीआई ने रेपो रेट में वृद्धि की है. इसका प्रभाव इस योजना के तहत दिए जाने वाले ऋणों पर न पड़े और किसानों को सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध होता रहे, इसके लिए आज यह फैसला लिया गया है. इससे किसानों को 7 प्रतिशत और समय पर अदायगी पर 4 प्रतिशत की दर ऋण मिलना सुनिश्चित रहेगा.

किसानों के लिए क्यों है महत्वपूर्ण

दरअसल, ब्याज अनुदान में वृद्धि से कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह की स्थिरता सुनिश्चित होने के साथ ऋण देने वाले संस्थानों विशेष रूप से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक एवं सहकारी बैंक की वित्तीय स्थिति और व्यवहार्यता सुनिश्चित होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पर्याप्त कृषि ऋण सुनिश्चित होगा. यह भी पढ़ें : बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन को दिल्ली HC ने दिया झटका- दर्ज होगा रेप का केस

बैंक फंड की लागत में वृद्धि को समाहित करने में सक्षम होंगे और किसानों को उनकी कृषि आवश्यकताओं के लिए ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तथा अधिक से अधिक किसानों को कृषि ऋण का लाभ दे सकेंगे. इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी, क्योंकि लघु अवधि के कृषि ऋण पशुपालन, डेयरी, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन सहित सभी कार्यों के लिए प्रदान किए जाते हैं.

किसान समय पर ऋण चुकाते समय 4 प्रतिशत सालाना की ब्याज दर पर अल्पकालीन कृषि ऋण लेते रहेंगे.

क्या है योजना

बता दें कि किसानों को सस्ती दर पर बिना किसी बाधा के ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. ऐसे में, किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई थी, ताकि उन्हें किसी भी समय ऋण पर कृषि उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए सशक्त बनाया जा सके. यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसान बैंक को न्यूनतम ब्याज दर का भुगतान कर सकते हैं, भारत सरकार ने ब्याज अनुदान योजना (आईएसएस) शुरू की, जिसका नाम बदलकर अब संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) कर दिया गया है, ताकि कम ब्याज दरों पर किसानों को लघु अवधि के ऋण प्रदान किए जा सकें.