Supreme Court ने सोनाई में दलित पुरुषों की हत्या मामले में दोषी की मौत की सजा रोकी
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) के अहमदनगर (Ahmednagar) जिले के सोनाई गांव में 2013 में अंतर्जातीय प्रेम संबंध में तीन दलित पुरुषों की निर्मम हत्या में शामिल एक दोषी की मौत की सजा पर रोक लगा दी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud), विक्रम नाथ (Vikram Nath), और बीवी नागरत्ना (BV Nagratna) दोषी संदीप माधव (Sandeep Madhav) कुरहे द्वारा दायर अपील की जांच करने के लिए सहमत हुए, और उनके वकील द्वारा संक्षिप्त दलीलें पेश किए जाने के बाद, मृत्युदंड के निष्पादन पर रोक लगा दी. पीठ ने अपील को अन्य दोषियों की लंबित अपीलों के साथ भी टैग किया. Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने जमानत मामले में अधिकारियों को तलब करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर जताई नाराजगी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर, 2019 को 1 जनवरी, 2013 को सोनाई गांव में तीन दलित पुरुषों की हत्या में चार लोगों की मौत की सजा को बरकरार रखा था. पुलिस ने कहा कि सचिन घरू और मराठा समुदाय की एक लड़की के बीच अंतर्जातीय प्रेम संबंध हत्या का कारण था. मृतकों के कटे-फटे शरीर के अंग एक सेप्टिक टैंक और पास के एक कुएं में पाए गए थे. इससे पहले सेप्टिक टैंक की सफाई के बहाने लड़की के परिवार ने घरू और उसके सहयोगियों को अपने घर बुलाया था.

नासिक की एक सत्र अदालत ने 2018 में घरू (24), संदीप थंवर (25) की हत्या के लिए छह लोगों - रघुनाथ दारंडाले, रमेश दारंडाले, प्रकाश दारंडाले, गणेश उर्फ प्रवीण दारंडाले, अशोक नवगीरे और कुरहे को मौत की सजा सुनाई थी और राहुल कंडारे (20), सभी स्वीपर के रूप में काम करते हैं. हालांकि, रघुनाथ दारंडाले की मौत मामले की पेंडेंसी के दौरान हो गई.

उच्च न्यायालय ने चार दोषियों- रमेश दारंडाले, प्रकाश दारंडाले, गणेश उर्फ प्रवीण दारंडाले और कुरहे की मौत की सजा को बरकरार रखा. हालांकि, इसने सबूतों के अभाव में नवगीरे (32) को बरी कर दिया.