राफेल पर भिड़ी बीजेपी-कांग्रेस: राहुल गांधी बोले- अंबानी के लिए मोदी ने की डील की बायपास सर्जरी, संबित पात्रा ने बताया कॉमेडी शो
राहुल गांधी (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों से पहले राफेल मुद्दा (Rafale Deal) एक बार फिर गरमा गया है. इस बीच गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस करके कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. राफेल डील से जुड़े कागज गायब होने पर राहुल ने इशारों में ही पीएम मोदी और अनिल अंबानी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राफेल के जरिए फायदा पहुचाने के लिए डील की बायपास सर्जरी की है. उधर बीजेपी ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पर तुरंत पलटवार किया है.

राजधानी दिल्ली में आज सुबह मीडिया से बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने कहा ‘‘एक नई लाइन सामने आई है-गायब हो गया. दो करोड़ रोजगार गायब हो गया. किसानों के बीमा का पैसा गायब हो गया. 15 लाख रुपया गायब हो गया. अब राफेल की फाइलें गायब हो गईं.''

उन्होंने दावा किया, '' कोशिश यह कि जा रही है कि किसी भी तरह से नरेंद्र मोदी का बचाव करना है. सरकार का एक ही काम है कि चौकीदार का बचाव करना है.''

गांधी ने कहा, ''न्याय सबके लिए होना चहिए. एक तरफ आप कह रहे हैं कि कागज गायब हो गए हैं . इसका मतलब है कि ये सच्चे हैं. इन कागजों में साफ है कि प्रधानमंत्री ने समानांतर बातचीत की है. इनके ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए.’’

उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल की आपूर्ति समय पर नहीं हुई क्योंकि मोदी जी अनिल अंबानी को पैसा देना चाहते थे.

एक सवाल के जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘आपकी सरकार है जिस पर चाहिए कार्रवाई करिये. लेकिन प्रधानमंत्री पर कार्रवाई करिये. प्रधानमंत्री ने राफेल सौदे में देरी की, अनिल अंबानी की जेब में 30 हजार करोड़ रुपये डाले.’’ उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार का स्पष्ट मामला है और इसमें आपराधिक जांच होनी चाहिए.

उन्होंने सवाल किया कि अगर प्रधानमंत्री दोषी नहीं हैं तो फिर जांच क्यों नहीं कराते ? जेपीसी की जांच से क्यों भाग गए?

गौरतलब हो कि मोदी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राफेल से संबंधित अति महत्वपूर्ण दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं. और इसकी अभी जांच की जा रही है. इसके साथ ही केंद्र ने कहा था कि ये वही दस्तावेज हैं, जो मीडिया में दिखाए गए. दरअसल 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद पर शीर्ष कोर्ट द्वारा 14 दिसंबर को सरकर को दी गई क्लीन चिट को वापस लेने संबधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने यह जानकारी दी. जिसके बाद से देश के लगभग सभी विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरने में जुट गए.