वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के रिटायरमेंट की उम्र कितनी है? इन विभागों में 66 वर्ष तक कर सकते हैं नौकरी
Government Jobs 2025

Government Employees Retirement Age : भारत सरकार देश के कुछ विशेष विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को 66 वर्ष की आयु तक सेवा विस्तार दे सकती है. यह देश के दो अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्र अंतरिक्ष विभाग (Department of Space) और परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy) के लिए लागू है. इन दोनों विभागों के सचिव (Secretary) का कार्यक्षेत्र तकनीकी, वैज्ञानिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा होता है. ऐसे पदों पर नियुक्त अधिकारी देश के लिए रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं पर काम करते हैं. चूंकि इन अधिकारियों के पास वर्षों का अनुभव, गहन वैज्ञानिक ज्ञान और विशेष विशेषज्ञता होती है, इसलिए सरकार को यह अधिकार है, कि जनहित में उनकी सेवा अवधि को बढ़ाया जा सकता है.

66 वर्ष तक सेवा विस्तार का प्रावधान

भारत सरकार के नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मचारी आमतौर पर 60 वर्ष की आयु में रिटायर्ड हो जाते हैं. कुछ विशेष सेवाओं में यह सीमा 62 वर्ष भी हो सकती है. लेकिन अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा विभागों के सचिवों के लिए एक विशेष प्रावधान है, जिसके तहत, केंद्र सरकार सार्वजनिक हित में आवश्यक समझे तो अंतरिक्ष विभाग के सचिव और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव की सेवा 66 वर्ष की आयु तक बढ़ा सकती है.

सेवा विस्तार कब मिलता है?

  • संबंधित अधिकारी के पास उस क्षेत्र में विशेष विशेषज्ञता और अनुभव होता है, जो आसानी से नहीं मिल सकता है.
  • किसी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परियोजना में अधिकारी की भूमिका निरंतर आवश्यक होती है.
  • राष्ट्रीय सुरक्षा या रणनीतिक परियोजनाएं, जिनमें निरंतरता बनाए रखना बेहद जरूरी होता है.
  • देश की दीर्घकालिक रणनीतिक योजनाओं में अधिकारी की सक्रिय भूमिका होती है.

ऐसे मामलों में, सेवा विस्तार का निर्णय आमतौर पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) द्वारा लिया जाता है.

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इस नीति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है, कि भारत के सबसे संवेदनशील और रणनीतिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे अनुभवी अधिकारियों की विशेषज्ञता का पूरा लाभ देश को मिल सके. इससे यह भी पता चलता है, कि सरकार वैज्ञानिक संस्थानों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभागों को लेकर कितनी गंभीर है. यह कदम देश को तकनीकी रूप से और अधिक मजबूत बनाने में मदद करेगा और अंतरिक्ष तथा परमाणु क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्थिति को और बेहतर बनाएगा.

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