चेन्नई: तमिलनाडु (Tamil Nadu) के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रतीप वी फिलिप (Prateep V Philip) का वह सपना तब सच हो गया, जब उन्होंने खून के धब्बों वाली अपनी वह कैप ड्यूटी के आखिरी दिन पहनी जो उन्होंने राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi Assassination) के दौरान जख्मी होने के समय पहनी थी. पूर्व डीजीपी प्रतीप वी फिलिप तमिलनाडु पुलिस अकादमी के निदेशक के पद से गुरुवार को रिटायर हो गए. Rajiv Gandhi Assassination: राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी की याचिका पर सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय
अपने रिटायरमेंट के दिन प्रतीप फिलिप ने खून लगी टोपी और नेम प्लेट पहना, जो 21 मई 1991 के दिन श्रीपेराबंदूर (Sriperumbudur) के आत्मघाती हमले के दौरान उन्होंने पहनी थी. इस टोपी पर खून के छींटे भी बिखरे हैं. 1987 बैच के अधिकारी फिलिप उस समय कांचीपुरम (Kancheepuram) जिले में सहायक पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे. वें भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेराबंदूर की चुनावी सभा में ड्यूटी पर तैनात थे. फिलिप आत्मघाती हमलावर से बस कुछ फीट की दूरी पर ही थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व डीजीपी प्रतीप फिलिप के शरीर पर आज भी उस बम धमाके के निशान है.
दरअसल उनके यह अरमान कोर्ट की अनुमति के बाद पूरे हुए, क्योकि ये दोनों चीजें राजीव गांधी हत्याकांड के सबूत के तौर पर जमा थी. चेन्नई की एक अदालत ने रिटायरमेंट से दो दिन पहले ही उन्हें अपनी टोपी और बैज ले जाने की अनुमति दी. हालांकि कोर्ट ने इसे एक महीने में ही वापस जमा करने के लिए भी कहा है.
फिलिप के अधिवक्ता संजय पिंटो ने कहा कि उनके नाम का बिल्ला और खून से सनी टोपी मौके से मिली थी. जबकि फिलिप को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पूर्व पुलिस अधिकारी अपने बैज और टोपी को वापस पाने के लिए बेताब थे और इसके लिए एक याचिका दायर करना चाहते थे. हालांकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के काउंसल (CBI Counsel) ने कहा कि एजेंसी दोनों चीजों को सिर्फ कुछ समय के लिए देने के लिए सहमत है, इसे किसी को स्थायी तौर पर नहीं दिया जा सकता है.
कोर्ट ने सहमति व्यक्त की कि फिलिप के जीवन में इन दोनो चीजों का भावुक मूल्य है. फिलिप 30 सितंबर 2021 को रिटायर हुए, जबकि 28 सितंबर 2021 को सिटी कोर्ट ने उन्हें टोपी और बैज 100,000 रुपये के बांड पर देने का निर्देश दिया. कोर्ट के आदेश के अनुसार यह दोनों चीजे आईपीएस अधिकारी द्वारा एक महीने के अंदर या उससे पहले वापस कोर्ट को सौंपना होगा.