नयी दिल्ली, 22 जून : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि वह राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi Assassination) में उम्र कैद की सजा काट रहे ए जी पेरारीवलन की पैरोल का अनुरोध करने वाली याचिका पर तीन सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. न्यायमूर्ति विनीत सरण और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अवकाश पीठ ने इस तथ्य पर संज्ञान लिया कि पेरारीवलन के वकील ने मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करने वाला पत्र वितरित किया है. पीठ ने अपने आदेश में कहा ‘‘(सुनवाई स्थगित करने के लिए) एक पत्र है. इस मामले को तीन सप्ताह बाद एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.’’ न्यायालय ने पिछले साल 23 नवंबर को चिकित्सा संबंधी जांच के लिए पेरारीवलन की पैरोल अवधि एक सप्ताह बढ़ाते हुए तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया था कि जब वह डॉक्टर के पास जांच के लिए अस्पताल जाए तो पुलिस उसके साथ हो.
इससे पहले, 20 नवंबर, 2020 को न्यायालय में दाखिल हलफनामे में सीबीआई ने कहा था कि पेरारीवलन को माफी देने के मुद्दे पर तमिलनाडु के राज्यपाल को फैसला करना है. सीबीआई ने कहा था कि पेरारीवलन सीबीआई के नेतृत्व वाली ‘मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) द्वारा की जा रही और जांच का विषय नहीं है. एमडीएमए जैन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ‘बड़ी साजिश’ के पहलू की जांच कर रहा है. शीर्ष अदालत 47 वर्षीय पेरारीवलन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने एमडीएमए की जांच पूरी होने तक मामले में उसकी आजीवन कारावास की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया है. न्यायालय ने तीन नवंबर को सुनवाई के दौरान पेरारीवलन की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से ज्यादा समय से लंबित होने पर नाराजगी व्यक्त की थी . यह भी पढ़ें : Lucknow: UP विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की तैयारी शुरू, सीएम योगी आदित्यनाथ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास से हुए रवाना
सीबीआई ने अपने 24 पृष्ठ के हलफनामे में कहा था कि यह तमिलनाडु के राज्यपाल को फैसला करना है कि माफी दी जानी है या नहीं और जहां तक राहत की बात है कि वर्तमान मामले में सीबीआई की कोई भूमिका नहीं है. जांच एजेंसी ने कहा था कि शीर्ष अदालत 14 मार्च, 2018 को पेरारीवलन के उस आवेदन को खारिज कर चुकी है, जिसमें उसने मामले में दोषी ठहराये जाने के शीर्ष अदालत के 11 मई, 1999 के फैसले को वापस लिये जाने का अनुरोध किया था. उसने कहा था , ''याचिकाकर्ता का यह दावा कि वह निर्दोष है और उसे राजीव गांधी की हत्या की साजिश के बारे में जानकारी नहीं थी, न तो स्वीकार्य है और न ही विचारणीय है.’’ यह भी पढ़ें : COVID-19: ओडिशा में कोविड-19 के 2957 नए मामले, 38 लोगों की मौत
शीर्ष अदालत ने इससे पहले याचिकाकर्ता पेरारीवलन के वकील से पूछा था कि क्या अदालत अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर राज्यपाल से अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल माफी याचिका पर फैसला लेने का अनुरोध कर सकती है. अनुच्छेद 161 राज्यपाल को किसी भी आपराधिक मामले में अपराधी को माफी देने का अधिकार देता है. शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘हम इस क्षेत्र में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं लेकिन हम इस बात से खुश नहीं हैं कि सरकार द्वारा की गई एक सिफारिश दो साल से लंबित है.’’ तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई, 1991 को एक महिला आत्मघाती हमलावर ने एक चुनाव रैली के दौरान विस्फोट किया था, जिसमें राजीव गांधी मारे गये थे.