मोदी सरकार का बड़ा फैसला- पांच रेलवे इंजीनियर्स प्रादेशिक सेना रेजिमेंट की भंग, 1949 से सौंपी गई थी ये जिम्मेदारी
रेलवे स्टेशन (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) ने झांसी, कोटा, आद्रा, चंडीगढ़ और सिकंदराबाद में स्थित पांच रेलवे इंजीनियर्स प्रादेशिक सेना रेजिमेंट को भंग करने का फैसला किया. रेल मंत्रालय ने छह में से पांच इकाइयों को बंद करने का फैसला किया है. प्रादेशिक सेना रेलवे का एक सहायक बल जिसे साल 1949 में खड़ा किया गया था, जिसका काम सक्रिय शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के दौरान अग्रिम क्षेत्रों में रेल संचार की व्यवस्था करना तथा शांति के समय आपातकाल में आवश्यक रेल परिवहन व्यवस्था को बनाए रखना है. रेलवे ने दी गुड न्‍यूज, स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की शुरू की तैयारी, अत्याधुनिक सुविधाओं से होगी लैस

रेलवे इंजीनियर्स रेजीमेंट में मुख्यत : नियमित सेना से थोड़ी संख्या में लिए गए स्थायी कर्मचारियों की सहायता से सेवारत रेल कर्मचारियों की तैनाती की जाती है. इस सेना की अति महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि प्रादेशिक सेना में भर्ती प्रादेशिक सेना के कर्मियों को नागरिक रेलवे इंजीनियर्स रेजीमेंट ( प्रादेशिक सेना ) ने अपनी स्थापना के बाद से संकट के दौरान हमेशा ही अपनी अमूल्य सेवा समर्पित की है.

रेल मंत्रालय के 3 जून के आदेश के तहत भंग की जाने वाली रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट की पांच इकाइयां जोकि झांसी, कोटा, आद्रा, चंडीगढ़ और सिकंदरबाद में स्थित हैं. केवल एक रेलवे प्रादेशिक सेना जमालपुर, बिहार में इकाई, रक्षा मंत्रालय के ह्लअनुमोदनह्व के अनुसार, असम में न्यू जलपाईगुड़ी से रंगिया को जोड़ने वाले 361 किलोमीटर के मार्ग पर परिचालित रखी जाएगी, जोकि सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से रंगिया तक महत्वपूर्ण रेल लिंक को कवर करती है.

रेल मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि प्रादेशिक सेना के भंग किए जाने के बाद भी उत्तरी और पूर्वी सीमाओं की ओर हर समय निर्बाध रेल संचार बनाए रखा जाएगा.

वर्तमान में, पश्चिम बंगाल में चंडीगढ़ और आद्रा में रेलवे टीए इकाइयों ने उत्तरी और पूर्वी सीमाओं के लिए रक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में कार्य किया.