नई दिल्ली: राफेल पर मचे सियासी घमासान के बीच शुक्रवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण उस प्रोडक्शन यूनिट का दौरा करेंगी जहां राफेल फाइटर प्लेन बनाये जाते हैं. रक्षा मंत्री इस यूनिट में राफेल के प्रोडक्शन में हो रही प्रगति का जायजा लेंगी. राफेल विमान बनाने वाली यह यूनिट फ्रांस के अर्जेंटुइल में स्थित है. इस बीच रक्षा मंत्री ने कहा है कि भारत सरकार डील के साथ आगे जाएगी. उन्होंने कहा कि भारत में ऑफसेट पार्टनर चुनना दसॉल्ट एविएशन की पसंद है. सीतारमण ने कहा कि सौदे के लिए ऑफसेट दायित्व अनिवार्य था, न कि कंपनियों के नाम.
रक्षा मंत्री ने गुरुवार को अपने फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली के साथ भारत और फ्रांस के बीच सामरिक और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तौर तरीकों पर व्यापक बातचीत की. राफेल डील को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है, मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे तौर पर पीएम मोदी को भ्रष्ट बताया है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने रक्षा मंत्री के फ्रांस दौरे पर भी सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि निर्मला सीतारमण की फ्रांस यात्रा राफेल सौदे पर 'पर्दा डालने की कोशिश' है. इस बीच फ्रांस पहुंच चुकी रक्षा मंत्री ने राहुल के आरोपों का जवाब भी दिया है और फ्रांस के रक्षा मंत्री से मुलाकात भी की है. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के इस दावे को दोहराया कि उसे कोई भनक नहीं थी कि दसॉल्ट एविएशन अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस ग्रुप के साथ सौदा करेगा. यह भी पढ़ें- राफेल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार बताए, कैसे की विमान की डील
दसॉल्ट ने राफेल डील पर दी सफाई
राफेल डील को लेकर केंद्र सरकार पर लगे आरोपों पर राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट ने सफाई दी है. दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैफियर ने बताया कि रिलायंस से समझौता भारत के कानून के तहत ही हुआ और पूरी तरह दसॉल्ट का फैसला था. कानून के तहत ही दसॉल्ट ने रिलायंस के साथ नागपुर में प्लांट बनाने का फैसला किया.
रक्षामंत्री ने कहा यह दो सरकारों के बीच का सौदा
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पैरिस में एक ब्रीफिंग को संबोधित किया. उन्होंने उस दावे को फिर दोहराया कि सरकार को नहीं पता था कि दसॉल्ट अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस का चुनाव करेगी. उन्होंने आगे कहा कि यह सरकारों के बीच का समझौता है और इसमें किसी व्यक्ति के फर्म का जिक्र नहीं है. उन्होंने कहा कि यह कंपनी की जवाबदेही है कि वह अपने द्वारा चुने गए पार्टनर्स पर सवालों का जवाब दे. यह भी पढ़ें- राफेल डील: CM फडणवीस का बयान, कहा- राफेल का नाम लेकर चिल्लाने वालों को यह भी पता नहीं, ये विमान है या साइकिल
गौरतलब है कि राफेल डील को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को भ्रष्ट बता रहा है. कांग्रेस इस सौदे में पीएम मोदी को करप्ट बताते हुए उन पर आरोप लगा रही है और कह रही है कि सरकार 1670 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है जबकि यूपीए के समय इस सौदे पर बातचीत के दौरान इस विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये प्रति राफेल तय हुई थी.