नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे को लेकर दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए केंद्र से राफेल विमान सौदे पर फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंपने को कहा है. कोर्ट अपने सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि उसे कीमत और राफेल विमान सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए. उसे सौदे से जुडी प्रक्रिया की जानकरी चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए केंद्र को 29 अक्टूबर तक का समय दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे के सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार इस याचिका विरोध करते हुए कहा गया कि कोर्ट में जो भी याचिका दायर की गई है वह याचिका राजनीतिक लाभ लेने के लिए दाखिल की गई हैं. इसलिए इसे खारिज की जानी चाहिए. यह भी पढ़े: राफेल डील: शिवसेना का मोदी सरकार पर बड़ा हमला, राउत ने राफेल को बताया ‘बोफोर्स का बाप’
किसने दायर की याचिका
देश में राफेल सौदे को लेकर मचे बवाल को लेकर इस याचिका को अधिवक्ता विनीत धांडा की ओर से दायर की गई थी. इस याचिका में राफेल विमान डील पर रोक लगाने के लिए कहा गया है. उन्होंने अपनी अर्जी में फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान डील में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की है. विनीत धांडा द्वारा दायर याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को इस मामले में 29 अक्टूबर तक सीलबंद लिफाफे में जवाब देने को कहा है.
क्या है पूरा मामला
बात दें कि मौजूदा मोदी सरकार ने फ्रांस की सरकार से 36 लड़ाकू विमान खरीदने को लेकर सौदा किया है. इस सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि यूपीए कार्यकाल में किए गए सौदे की तुलना में यह सौदा काफी महंगा है. जिसकी वजह से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.