नई दिल्ली: कोर्ट की अवमानना के दोषी वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 10 सितंबर तक टल गई है. इससे पहले एक्टिविस्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपने उन दो ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया है जिसके लिए उन्हें कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया है.
मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार को सुनवाई शुरु होने पर प्रशांत भूषण का पक्ष रख रहे वकील राजीव धवन ने साल 2009 में लिखे गए लेख के मामले को संविधानिक बेंच को भेजने की अपील की. इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि इस मामले में ये एक पेचीदा सवाल है कि क्या यह मामला स्वत: संज्ञान का है? उन्होंने कहा कि ऐसे कुछ सवालों पर बहस हो सकती है. दरअसल जस्टिस अरुण मिश्रा रिटायर हो रहे है. भूषण के मामले पर पूर्व न्यायाधीशों की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: सिंघवी
Supreme Court defers to September 10. the 2009 contempt case against lawyer Prashant Bhushan for his tweets against former SC judges. SC requests Chief Justice to place it before appropriate bench pic.twitter.com/a9SBcy4CyK
— ANI (@ANI) August 25, 2020
इससे पहले प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि मेरे ट्वीट मेरे विश्वास का प्रतीक हैं. सुप्रीम कोर्ट में सप्लीमेंट्री बयान में भूषण ने कहा, मेरे ट्वीट मेरे विश्वास को दर्शाते हैं. ये विश्वास अभी भी मेरे पास है. एक नागरिक और इस कोर्ट के एक वफादार ऑफीसर के रूप में मेरे दायित्वों के अनुरूप हैं. इसलिए, इन मान्यताओं की अभिव्यक्ति के लिए माफी, सशर्त या बिना शर्त, मेरे विवेक और इस संस्था के खिलाफ होगी, जिसे मैं बहुत ऊंचा स्थान देता हूं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था.