क्या टिकटॉक को बचाएंगे उसके विरोधी रहे डॉनल्ड ट्रंप
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

टिकटॉक पर अमेरिका में प्रतिबंध की तलवार लटक रही है. कानूनी लड़ाई और अनिश्चितताओं के बीच टिकटॉक के भविष्य पर ट्रंप का बदलता रुख मददगार हो सकता है.एक साल की अनिश्चितताओं और कानूनी लड़ाई के बाद, टिकटॉक को अमेरिका में डूबने से बचने में शायद अपने सबसे बड़े विरोधी डॉनल्ड ट्रंप से ही तिनके का सहारा मिल सकता है. ट्रंप पहले टिकटॉक पर बैन लगाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में कोशिश भी की थी.

लेकिन अपने हाल के चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने इस सोशल मीडिया मंच का विरोध ना करने का वादा किया. टिकटॉक पर अमेरिकी अदालत में मुकदमा चल रहा है और अगर वह इसमें हार जाती है तो आने वाली जनवरी में उस पर बैन लागू हो सकता है.

ट्रंप का रुख साफ नहीं

टिकटॉक और इसकी चीन स्थित मालिक कंपनी बाइटडांस अमेरिका के साथ कानूनी लड़ाई में उलझी हुई हैं. एक नए कानून के अनुसार, उन्हें सुरक्षा कारणों से अमेरिका में कंपनी चलाने से अलग होने या बंद होने का निर्देश मिला है.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अप्रैल में एक आदेश पर दस्तखत किए थे, जिसमें बाइटडांस को नौ महीने के भीतर अपनी हिस्सेदारी को बेचने के लिए कहा गया था. यदि कंपनी ऐसा करती है, तो यह समय सीमा ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के पहले 100 दिनों में बढ़ सकती है.

कंपनी का दावा है कि हिस्सेदारी बेचने के आदेश को मानना उसके लिए संभव नहीं है. ऐसे में, अगर कानून बना रहता है तो उन्हें 19 जनवरी को अमेरिका से अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ सकता है. दोनों पक्षों के वकीलों ने अदालत से 6 दिसंबर तक फैसले की उम्मीद की है, और हारने वाले पक्ष की सुप्रीम कोर्ट में अपील की संभावना है.

ट्रंप की सत्ता हस्तांतरण टीम ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन नव-निर्वाचित राष्ट्रपति की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने एक बयान में कहा कि ट्रंप अपने वादों को पूरा करेंगे. बीते दिनों एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था कि उन्हें अब भी टिकटॉक से सुरक्षा संबंधी खतरा महसूस होता है, लेकिन वो इसे प्रतिबंधित करने के पक्ष में नहीं हैं.

बाइटडांस और इसके समर्थकों ने वॉशिंगटन में पैरवी करने के लिए बड़े प्रयास किए हैं. कंपनी ने अनुभवी लॉबिस्ट डेविड अर्बन को डेढ़ लाख डॉलर का भुगतान किया और कुल मिलाकर 80 लाख डॉलर से अधिक खर्च किए हैं. साथ ही, ट्रंप के पूर्व सहयोगी केलैन कॉनवे ने भी टिकटॉक के समर्थन में कांग्रेस में प्रयास किए हैं.

क्या हैं विकल्प

अगर अदालत कानून को बरकरार रखती है, तो इसे लागू करना ट्रंप के न्याय विभाग पर निर्भर करेगा. ट्रंप इसे रोकने के लिए कार्यकारी आदेश जारी कर सकते हैं. हालांकि ऐसा करना कानूनी तौर पर संभव नहीं माना जा रहा है. एक विकल्प यह है कि ट्रंप इस कानून को वापस लेने के लिए कांग्रेस को भी कह सकते हैं, जिसमें रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन चाहिए होगा.

टिकटॉक ने 2022 में बाइडेन प्रशासन के सामने एक समझौते का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन प्रशासन का मानना है कि इसके पालन में तकनीकी चुनौतियां हो सकती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का रुख नई जानकारियां मिलने के बाद बदल भी सकता है.

हार्वर्ड के कानून विशेषज्ञ ली प्लैंकेट का कहना है कि टिकटॉक को सलाह दी जानी चाहिए कि वे कानून के अनुसार योजना बनाएं, क्योंकि ट्रंप प्रशासन का रुख अभी स्पष्ट नहीं है.

2020 में वॉशिंगटन की एक संघीय अदालत ने टिकटॉक पर बैन लगाने के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के फैसले को स्थगित कर दिया था. टिकटॉक को अंतिम समय में प्रतिबंध से राहत मिली थी. हालांकि उसके बाद राष्ट्रपति बने जो बाइडेन ने भी टिकटॉक पर सख्त रुख अपनाया.

चीन की आपत्ति

अमेरिका में सरकार को लगता है कि टिकटॉक का इस्तेमाल करने वाले 17 करोड़ अमेरिकी उपभोक्ताओं का डेटा चीन सरकार के हाथ में है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और प्राइवेसी को खतरा है. इसी साल 24 अप्रैल को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने टिकटॉक पर लगाम कसने वाले एक कानून पर दस्तखत किए.

इसके प्रावधान के अनुसार या तो टिकटॉक के चीनी मालिक उसे किसी अमेरिकी को बेच दें या फिर अमेरिका में टिकटॉक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.

टिकटॉक की मालिक चीनी कंपनी बाइटडांस ने इस कानून को अदालत में चुनौती दी है. चीन ने इस कदम को ‘अमेरिकी सांसदों की लूट' बताते हुए कहा है कि अमेरिका हर अच्छी चीज छीनना चाहता है.

जानकारों का कहना है कि अगर बाइटडांस इस कानूनी लड़ाई में हारता है, और टिकटॉक किसी अमेरिकी को बेच देता है, तो यह अमेरिका के सामने चीन की हार मानी जाएगी.

टिकटॉक को बेचने की खबरों का खंडन करते हुए बाइटडांस के मालिक ने अपने स्वामित्व वाली न्यूज ऐप टूटिआओ पर यह ऐलान किया था कि टिकटॉक को किसी अमेरिकी को बेचने का उनका कोई इरादा नहीं है.

वीके/सीके (एपी, एएफपी)