भोपाल: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 'वंदे मातरम' पर सियासत गर्मा गई है, कांग्रेस (Congress) के सत्ता में आने के बाद सामूहिक वंदे मातरम पर लगाई गई अघोषित रोक से बीजेपी हमलावर हो गई है. बीजेपी का सवाल है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ (CM Kamal Nath) बताएं कि क्या प्रदेश में अब भारत माता की जय बोलने पर रोक होगी. वहीं मुख्यमंत्री ने सफाई देते हुए वंदे मातरम को नए सिरे से शुरू करने की बात कही है.
राज्य में हर माह की एक तारीख को सरकारी दफ्तरों में सामूहिक वंदे मातरम होता रहा है, मगर कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद जनवरी माह की पहली तारीख को वंदे मातरम नहीं हुआ. इस पर बीजेपी हमलावर हो गई है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल (Rajnesh Agarwal) ने कहा है कि प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सामूहिक वंदे मातरम गायन पर रोक लगाकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं.
ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी सरकार प्रदेश के राष्ट्रभक्त नागरिकों को भारत माता की जय बोलने की इजाजत भी देगी या नहीं. प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ से यह सवाल मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने किया. बीजेपी सरकार ने वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर (CM Babulal Gaur) के कार्यकाल में हर महीने की पहली तारीख को सामूहिक वंदे मातरम गायन की शुरुआत की थी.
लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार के सत्ता संभालने के बाद एक जनवरी को मंत्रालय के सामने सामूहिक वंदे मातरम गायन नहीं हुआ. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि हर माह की एक तारीख को मंत्रालय में वंदे मातरम गायन की अनिवार्यता को फिलहाल अभी रोक कर नए रूप में लागू करने का निर्णय लिया गया है.
यह निर्णय न किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और न ही हमारा वंदे मातरम गायन को लेकर कोई विरोध है. वंदे मातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है. हम भी समय-समय पर इसे गाते हैं. कमलनाथ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमारा यह भी मानना है कि सिर्फ एक दिन वंदे मातरम गाने से किसी की देशभक्ति या राष्ट्रीयता परिलिक्षित नहीं होती.
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देशभक्ति व राष्ट्रीयता को सिर्फ एक दिन वंदे मातरम गायन से जोड़ना गलत है. बीजेपी के आरोपों पर कमलनाथ ने सवाल किया है कि जो लोग वंदे मातरम नहीं गाते तो क्या वे देशभक्त नहीं हैं? राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है. इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है.