Uttar Pradesh Rajya Sabha Election 2020: राज्यसभा के लिए यूपी में जोर आजमाईश शुरू, बीएसपी प्रत्याशी बिगाड़ सकता है गणित!
मायावती (Photo Credits: PTI)

लखनऊ, 23 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में राज्यसभा की दस सीटों के लिए सभी पार्टियों में जोर आजमाईश शुरू हो गयी है. बीजेपी (BJP) ने उम्मीदवारों के चयन के लिए मंथन तेज है. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपना उम्मीदवार उतारने के फैसले से निर्विरोध निर्वाचन की संभावना खत्म होती दिख रही है. पार्टी ने अपने नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है. बीएसपी (BSP) की इस चाल से बीजेपी के नौ सदस्यों के जीतने की राह जहां कठिन होगी वहीं, सपा और कांग्रेस (Congress) के सामने भी पशोपेश के हालत हो सकते हैं.

दरअसल, विधायकों की संख्या के आधार पर होने वाले इस चुनाव में बीजेपी के आठ व सपा के एक सदस्य की जीत तय है. बीजेपी का एक और सदस्य तब ही जीत सकता है जब विपक्ष साझा प्रत्याशी न खड़ा करे. न बीएसपी और न ही कांग्रेस खुद के दम पर अपना प्रत्याशी जिता सकती है. विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के आधार पर जीत के लिए किसी भी प्रत्याशी को 36 वोटों की आवश्यकता होगी. बीजेपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उसके आठ उम्मीदवारों की जीत तय है. बीएसपी द्वारा उम्मीदवार उतारने का फैसला किए जाने से ऊहापोह की स्थिति बन गई है.

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समाजवादी पार्टी ने अपना एक उम्मीदवार प्रो. रामगोपाल यादव का नामांकन कराकर स्पष्ट कर दिया कि उसके पास दस वोट अतिरिक्त होने के बावजूद वह किसी और को खड़ाकर करने का संकेत नहीं दे रही है. सपा द्वारा केवल उम्मीदवार खड़ा करने से बीजेपी को निर्विरोध निर्वाचन की आश थी. बीजेपी को भरोसा था कि पर्याप्त वोट न मिलने से विपक्षी दलों की एकता को झटका लगेगा. ऐसे में बीजेपी अपने 9 सदस्यों को राज्यसभा की दहलीज तक पहुंचाने में कामयाब हो जाएगी. ऐसी स्थिति में बीएसपी की प्रमुख मायावती पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव लड़ाकर एक तीर से कई निशाना साधना चाह रही हैं.

बीएसपी विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने बताया कि पार्टी ने बिहार के प्रभारी रामजी गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है. 26 अक्टूबर को उनका नामांकन किया जाएगा. विधानसभा में बीएसपी के पास 18 विधायक हैं. पार्टी को एक सीट निकालने के लिए करीब 39 प्रतिशत मतों की जरूरत होगी. इससे साफ है कि उसे दूसरे दलों से सहयोग लेना पड़ेगा.

गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या वैसे तो 18 ही हैं, लेकिन इनमें भी मुख्तार अंसारी, अनिल सिंह सहित दो-तीन और के वोट उसे मिलने की उम्मीद नहीं है. फिर भी मायावती प्रत्याशी उतारकर, बीजेपी के नौवें उम्मीदवार के निर्विरोध निर्वाचित होने की संभावना को खत्म कर बड़ा संदेश देना चाह रही हैं. बीएसपी नेताओं का कहना है कि मायावती के इस फैसले से कांग्रेस, सपा व अन्य विपक्षी दलों द्वारा पार्टी को बीजेपी की बी-टीम के रूप में प्रचार करने पर खुद-ब-खुद ब्रेक भी लग जाएगा.

दूसरी तरफ अगर बीएसपी प्रत्याशी को सपा व कांग्रेस समर्थन नहीं देंगी तो पार्टी को पलटवार करने का मौका मिलेगा. बीएसपी प्रत्याशी के हारने की स्थिति में पार्टी नेताओं द्वारा जनता के बीच यह सवाल उठाया ही जाएगा कि आखिर बीजेपी का मददगार कौन है. वैसे सूत्रों का कहना है कि बीजेपी को हराने के लिए सपा, कांग्रेस के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा कई निर्दलीय का भी बीएसपी को समर्थन मिल सकता है. बीएसपी की नजर बीजेपी के असंतुष्टों पर भी है.