मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के नए सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने विधानसभा में आज कई मुद्दों पर अपना रुख साफ किया. सीएम ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadvanis) को लेकर बात की. हिंदुत्व को लेकर अपनी विचारधारा स्पष्ट की. पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को विपक्ष के नेता चुने जाने के बाद सीएम ठाकरे ने कहा, 'मैं आपको विपक्ष का नेता नहीं कहूंगा, मैं आपको 'जिम्मेदार नेता' कहूंगा. ठाकरे ने कहा, अगर आप हमारे लिए अच्छे होते तो यह सब कुछ (बीजेपी-शिवसेना गठबंधन टूटना) नहीं होता.' उद्धव ठाकरे ने कहा, मैंने देवेंद्र फडणवीस से बहुत कुछ सीखा है और उनका हमेशा दोस्त रहूंगा. छोड़ूंगा. बीते पांच साल मैंने कभी सरकार को धोखा नहीं दिया है.
उद्धव ठाकरे ने कहा, कि वह एक भाग्यशाली मुख्यमंत्री हैं क्योंकि जिन्होंने उनका विरोध किया वे आज उनके साथ हैं और जो हमारे साथ थे वे अब विरोध में हैं. ठाकरे ने आगे कहा, मैंने कभी किसी से नहीं कहा कि मैं यहां आ आ रहा हूं लेकिन मैं आ गया. उद्धव ठाकरे ने कहा, मैं आज भी 'हिंदुत्व' की विचारधारा के साथ और इसके कभी नहीं छोड़ूंगा.
देवेंद्र फडणवीस को विपक्ष का नेता नहीं कहूंगा-
Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray: I won’t call you (Devendra Fadnavis) an 'Opposition leader', but I will call you a 'responsible leader'. If you would have been good to us then, all this (BJP-Shiv Sena split) would have not happened. pic.twitter.com/9CfT84S6nV
— ANI (@ANI) December 1, 2019
हिंदुत्व को लेकर ठाकरे ने विधानसभा में आज जो कहा, वह उनके विरोधियों को उनका जवाब है को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ आने से नाखुश हैं और इसे शिवसेना के हिंदुत्व एजेंडे के विरुद्ध बता रहे हैं.
मैं अब भी हिंदुत्व की विचारधारा के साथ-
Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray: I have learnt a lot of things from Devendra Fadvanis and I will always be friends with him. I am still with the ideology of 'Hindutva' and won't ever leave it. In past 5 years, I've never betrayed the govt. https://t.co/RucxPRvsfR pic.twitter.com/3K5qJKEPAU
— ANI (@ANI) December 1, 2019
गौरतलब है कि, शनिवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में बहुमत हासिल किया. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के महागठबंधन को विश्वास मत हासिल करने के लिए 145 वोट की जरूरत थी. विधानसभा में सरकार के पक्ष में 169 वोट पड़े. बीजेपी के 105 विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर लिया था जिस कारण विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा था. जबकि चार विधायक तटस्थ रहे और उन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.