
ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति बने 100 दिन हो चुके हैं. इस दौरान उन्होंने कई कार्यकारी आदेश जारी किए. इनमें से करीब एक-चौथाई को अदालत में चुनौती दी गई. कैसे दी जा रही है कानूनी चुनौती और उनसे अमेरिका पर क्या असर पड़ रहा है?जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को, अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन ही 26 एक्जिक्यूटिव ऑर्डर (कार्यकारी आदेश) जारी किए, तो पूरी दुनिया की निगाहें उन आदेशों पर टिकी हुई थीं.
उन्होंने अमेरिका में जन्म लेने पर अपने-आप नागरिकता मिलने के नियम को बदलने की कोशिश की, दूसरे देशों से आने वाले लोगों के खिलाफ आदेश (एंटी-इमिग्रेशन ऑर्डर) जारी किए और विविधता, समता और समावेशिता (डीईआई) की नीति से जुड़े कार्यक्रमों को समाप्त करने की बात कही.
साथ ही, उन्होंने ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अब अमेरिका सिर्फ दो लिंगों को मान्यता देगा, पुल्लिंग और स्त्रीलिंग. इस एलान से ट्रांसजेंडर समुदाय को धक्का पहुंचा. इन तमाम आदेशों से यह अंदाजा हो गया कि उनके दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में क्या होने वाला है.
कार्यकारी आदेशों से राष्ट्रपति को अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके नियमों और कानूनों को लागू करने की अनुमति मिलती है. हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि आदेश जारी करने से पहले वे यह देखें कि किन मौजूदा कानूनों या संविधान के हिस्सों का इस्तेमाल करके उन आदेशों को कानूनी रूप दिया जा सकता है.
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डीडब्ल्यू ने ट्रंप के अब तक के कार्यकारी आदेशों के असर का विश्लेषण किया है. साथ ही, यह भी देखने की कोशिश की कि क्या अमेरिकी कानूनी व्यवस्था ने राष्ट्रपति के तौर पर मिली उनकी शक्तियों को नियंत्रण में रखा है.
अब तक किन कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए हैं?
आंकड़ों से पता चलता है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद से ही कार्यकारी आदेश उनके लिए एक महत्वपूर्ण साधन, या यूं कहें कि अहम हथियार बने हुए हैं. ट्रंप ने सबसे ज्यादा कार्यकारी आदेश 20 जनवरी को जारी किए थे. उसके बाद से लगभग हर दूसरे दिन उन्होंने कम-से-कम एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए.
ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण के बाद से 100 से अधिक कार्यकारी आदेश जारी किए हैं. इससे अमेरिका में सरकार के काम करने के तरीके में तो अहम बदलाव हुए ही हैं, अमेरिका की घरेलू और विदेश नीति तक की दिशा बदल गई है.
प्रॉजेक्ट 2025 से कैसे मेल खाती हैं ट्रंप की नीतियां
अपने चुनाव अभियान के दौरान और जीत के बाद, ट्रंप और उनके सहयोगियों ने प्रॉजेक्ट 2025 से मौखिक रूप से खुद को दूर कर लिया. प्रॉजेक्ट 2025 एक घोषणापत्र है, जिसे वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक 'हेरिटेज फाउंडेशन' ने प्रकाशित किया है.
इसमें अमेरिका को कट्टर रूढ़िवादी विचारों के हिसाब से बदलने की बात कही गई है. इसमें सरकारी रिकॉर्ड से जलवायु परिवर्तन का जिक्र कम करने और कम शरणार्थियों को स्वीकार करने के साथ-साथ गर्भपात पर ज्यादा पाबंदी लगाने की बात कही गई है.
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'सेंटर फॉर प्रोग्रेसिव रिफॉर्म' के नीति निदेशक जेम्स गुडविन और उनके सहकर्मी ट्रंप प्रशासन की ओर से किए जा रहे बदलावों की निगरानी करते हैं और देखते हैं कि वे प्रोजेक्ट 2025 की सिफारिशों से कितना मेल खाते हैं.
गुडविन ने कहा, "बहुत सारे लोग प्रॉजेक्ट 2025 में की गई खास सिफारिशों को बहुत ध्यान से मानते हैं." उन्होंने ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों पर जारी किए गए कार्यकारी आदेशों को एक खास उदाहरण के तौर पर बताया. वह कहते हैं, "कुछ मामलों में तो बिल्कुल वही शब्द इस्तेमाल किए गए हैं और कुछ मामलों में कार्यकारी आदेश वही काम करते हैं, जो प्रॉजेक्ट 2025 में मोटे तौर पर करने को कहा गया था."
कार्यकारी आदेशों का काफी ज्यादा इस्तेमाल
ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल की तुलना में इस बार के पहले 100 दिनों में कार्यकारी आदेशों पर अधिक भरोसा किया है. साथ ही, 21वीं सदी के किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलना में कहीं ज्यादा कार्यकारी आदेश जारी किए हैं.
राजनीतिक विशेषज्ञ एंड्रयू रुडालेविज राष्ट्रपति की ताकत और सरकार के बाकी हिस्सों के साथ उनके रिश्ते पर शोध करते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने जो सरकारी आदेश दिए हैं, वे सिर्फ इसलिए अलग नहीं हैं कि वे बहुत ज्यादा हैं. वे इसलिए भी अलग हैं कि उनमें से कुछ आदेश ऐसे लगते हैं, जैसे ट्रंप ने अपनी मर्जी से दिए हैं, न कि देश के लिए जरूरी नीतियों के हिसाब से.
रुडालेविज ने कहा कि 'बदला लेने वाले आदेश,' जो कुछ खास लोगों या कंपनियों को निशाना बना रहे हैं, वे उस तरीके से बिल्कुल अलग हैं जैसे पहले आदेश जारी किए जाते थे. वे (ट्रंप) कानून को सही ढंग से लागू नहीं करते, बल्कि अपनी निजी ताकत दिखाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. यह गलत बात है.
रुडालेविज ने कहा कि यह मामला बदला लेने की भावना से कहीं आगे निकल गया है. उन्होंने कहा, "न्याय विभाग को कानून लागू न करने का आदेश देने वाला कार्यकारी आदेश मुझे आपत्तिजनक लगता है. हमने 14वें संशोधन और जन्म से नागरिकता वाले आदेश में भी ऐसा ही देखा, जहां पहले से ही एकदम स्पष्ट संविधान में नागरिकता की एक नई परिभाषा डालने की कोशिश हो रही है."
क्या कार्यकारी आदेशों को पलटा जा सकता है?
अमेरिकी सरकार की तीनों शाखाओं के पास कार्यकारी आदेशों को पलटने की कानूनी शक्ति है. चूंकि, कार्यकारी आदेश कानून को लागू करने का एक तरीका है, इसलिए संसद इसमें दखल दे सकती है. इसकी वजह यह है कि वही सरकार का ऐसा हिस्सा है, जो उन कानूनों को बनाती है जिनपर कार्यकारी आदेश आधारित होते हैं.
दूसरा, अदालतें उन मामलों में हस्तक्षेप कर सकती हैं जहां राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश संविधान या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन करते हैं.
आखिर में, भविष्य के राष्ट्रपति भी कार्यकारी आदेशों को रद्द कर सकते हैं. ट्रंप के कई कार्यकारी आदेश बाइडेन के आदेशों को पलटने के लिए जारी किए गए. इसी तरह, बाइडेन ने भी ट्रंप के पहले कार्यकाल के कई कार्यकारी आदेशों को पलटा है.
रुडालेविज ने कहा, "अगर आपको सच में एक ऐसा नीतिगत बदलाव लाना है, जो लंबे समय तक बना रहे, तो कानून बनाना बेहतर तरीका है. इसलिए मुझे यह थोड़ा अजीब लगता है कि ट्रंप प्रशासन ने इनमें से कई मामलों में कानून बनाने का रास्ता नहीं चुना, जबकि रिपब्लिकन पार्टी के पास कांग्रेस (संसद) के दोनों सदनों में बहुमत है."
कार्यकारी आदेशों को कानूनी चुनौतियां
ट्रंप के 100 कार्यकारी आदेशों में से एक चौथाई से ज्यादा (29 फीसदी) को कानूनी तौर पर चुनौती दी गई है. इनमें से कुछ को कई बार चुनौती का सामना करना पड़ा है. खबर लिखे जाने तक, उनमें से अधिकांश मामले अभी भी लंबित थे.
रुडालेविज ने बताया कि ड्राफ्ट ऑर्डर, संबंधित सरकारी विभागों के अंदर एक जांच प्रक्रिया से गुजरते हैं. इसके बाद, उन्हें कानूनी रूप और वैधता की जांच के लिए न्याय विभाग को भेजा जाता है.
वह कहते हैं, "मुझे ऐसा लगता है कि मौजूदा सरकार में, वे उस संस्थागत प्रक्रिया से नहीं गुजर रहे हैं जो पिछले लगभग 90 सालों से अलग-अलग राष्ट्रपतियों के समय में होता रहा है. आप सोच रहे होंगे कि वे कानूनी तौर पर क्या जांच करवा रहे हैं. एक राष्ट्रपति को कानून लागू करने के लिए कार्यकारी आदेशों का इस्तेमाल करना चाहिए. कुछ मामलों में, राष्ट्रपति ट्रंप ने उनका इस्तेमाल मुकदमेबाजी के लिए किया है. ऐसे आदेश जारी किए हैं जो देखने में ही मौजूदा कानूनों के खिलाफ लगते हैं."
रुडालेविज कहते हैं, "मुझे लगता है कि इसका एक अन्य पहलू जनसंपर्क है. राष्ट्रपति एक बड़े हस्ताक्षर के साथ आदेश दिखाते हैं. वे अपने समर्थकों को दिखाना चाहते हैं कि वे एक मजबूत नेता हैं. ऐसे समय में जब संसद के लिए काम करना मुश्किल हो रहा है, राष्ट्रपति ऐसा करने के लिए बहुत लालायित रहते हैं. सवाल यह है कि आखिरकार इसका क्या नतीजा निकलता है? क्या ये आदेश लागू होते हैं या सिर्फ दिखावा हैं? मुझे लगता है कि ट्रंप प्रशासन में दोनों का मिश्रण है, यानी कि कुछ लागू होते हैं और कुछ सिर्फ दिखावे के लिए हैं."