PM Modi Bihar and UP Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार और उत्तर प्रदेश को 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बड़ी विकास परियोजनाओं की सौगात देने जा रहे हैं. बिहार दौरे के दूसरे दिन पीएम मोदी काराकाट में 48,520 करोड़ रुपये की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. इनमें सड़क, रेलवे, बिजली और औद्योगिक परियोजनाएं शामिल हैं. इसके बाद पीएम मोदी उत्तर प्रदेश के कानपुर पहुंचेंगे, जहां वे 47,573 करोड़ रुपये की 15 मेगा प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण करेंगे. ये सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों से पहले वोटरों को लुभाने की बड़ी कोशिश भी मानी जा रही है.
चुनाव से पहले पीएम का ये दौरा राजनीतिक नजरिए से भी बेहद अहम माना जा रहा है. बिहार और उत्तर प्रदेश की उनकी धुआंधार यात्राओं ने इशारों-इशारों में चुनावी बिगुल भी बजा दिया है.
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क्या बिहार की राजनीति में सेंट्रल प्लेयर बनेगी BJP?
29 मई को पटना में नए जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट टर्मिनल का उद्घाटन हो या फिर सड़कों पर हुआ पीएम मोदी का रोड शो, हर तस्वीर को बीजेपी चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है. इस यात्रा का मकसद साफ है कि मोदी का करिश्मा दिखाना और बीजेपी को बिहार की राजनीति में सेंट्रल प्लेयर के तौर पर पेश करना.
हालांकि, एक बात गौर करने वाली है कि बीजेपी ने अब तक नीतीश कुमार को एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया है. जबकि 2020 में नीतीश इस गठबंधन में बिना चुनौती के नेता थे. अब जब बीजेपी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, तो वो खुद को गठबंधन की असली ताकत के तौर पर सामने लाना चाहती है.
बिहार में कैसा है चुनावी समीकरण?
नीतीश कुमार की ताकत उनकी पकड़ वाले EBC यानी अति पिछड़ा वर्ग और महिला वोटर्स में है. उनकी सरकार ने साइकिल योजना, महिला स्वयं सहायता समूह और सामाजिक योजनाओं के जरिए अच्छा जनाधार बनाया है. बीजेपी चाहती है कि ये वोट बैंक एनडीए के साथ ही रहे, लेकिन सत्ता में हिस्सेदारी का गणित चुनाव बाद ही तय होगा.
बिहार की राजनीति हमेशा से जातीय समीकरणों और सामाजिक न्याय के नारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों का गठबंधन अब भी दलित, मुस्लिम और यादव मतदाताओं में मजबूत पकड़ रखता है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या मोदी की लोकप्रियता और बीजेपी की ताकत इतनी हो पाएगी कि वो अकेले बहुमत हासिल कर सके?













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