लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ बना विपक्षी गठबंधन और मज़बूत हो रहा है. कैराना और नूरपुर में एसपी और राष्ट्रीय लोक दल ने सहमति से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, जिसमें कैराना से एसपी तो नूरपर में आरएलडी का उम्मीदवार लड़ेगा. इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने कैराना में चुनाव न लड़ने की बात पहले ही कह दी थी, साथ ही किसी को समर्थन नहीं करने की भी बात कही है.
वही दूसरी तरफ इस समझौते से कांग्रेस पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई है क्योंकि कांग्रेस ने आरएलडी के उम्मीदवार को कैराना में समर्थन देने का ऐलान किया था अब आरएलडी ने कैराना खुद ही सपा के लिए छोड़ दिया है, ऐसे में कांग्रेस के लिए हालात शर्मिंदगी के हो गए हैं. अब कांग्रेस के लिए सपा को समर्थन देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा.
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने जब जयंत चौधरी उनके घर पहुंचे तभी इस बात के कयास लगने शुरू हो गए थे कि इस उपचुनाव में दोनों के बीच कोई ना कोई समझौता होने जा रहा है.
ऐसा है कैराना का गणित-
- मुस्लिम - 5.50 लाख वोटर्स
- दलित - करीब 2 लाख वोटर्स
- जाट - 1 लाख 75000 वोटर्स
- राजपूत- 75000 वोटर्स
- गुजर - 1.30 लाख वोटर्स
- कश्यप - एक लाख 20 हजार वोटर्स
- सैनी - एक लाख 10 हजार वोटर्स
- ब्राह्मण - 60000 वोटर्स
- वैश्य 55000 वोटर्स
वही समाजवादी पार्टी मुस्लिम, दलित और जाट वोट पर ध्यान लगाना चाहती है जो 9 लाख से ज्यादा हैं.