लखनऊ, 6 नवंबर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी में आमरण अनशन कर रहे समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश प्रताप सिंह ( Rakesh Pratap Singh) को पुलिस ने 'जबरदस्ती' डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में भर्ती कराया है. सिंह की तबीयत बिगड़ने पर शुक्रवार रात को उन्हें लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रात 10 बजे पुलिस धरना स्थल पर पहुंची और सिंह से अपना अनशन तोड़ने के लिए कहा, लेकिन जब वह नहीं माने, तो उन्हें 'जबरदस्ती' अस्पताल में भर्ती कराया गया. UP Election 2022: बीजेपी को टक्कर देने के लिए क्या फिर एक होगी चाचा-भतीजे की जोड़ी? अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह के लिए कही यह बड़ी बात
हालांकि, सिंह ने ट्वीट कर कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार की तानाशाही. लगभग 12 बजे, प्रशासन और पुलिस की फर्जी रिपोर्ट पर मुझे जबरन सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया. "उन्होंने दावा किया, "इस अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. "सिंह ने पूछा, "क्या कोई विधायक राज्य सरकार से अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो सड़कों के निर्माण के लिए नहीं कह सकता. "
सिंह ने कहा, "यह निरंकुश सरकार लोगों की आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमारी लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी.""मैं भूख हड़ताल पर था और पहले दिन से, लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहा था, लेकिन जबरन ग्लूकोज ड्रिप पर डाल दिया गया."सिंह ने दावा किया, "ना तो मैंने और ना ही मेरी पार्टी के सदस्यों ने सामाजिक संतुलन बिगाड़ा. लेकिन पुलिस मुझे जबरन सिविल अस्पताल ले आई."
राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए, सिंह ने कहा, "क्या लोगों के लिए आवाज उठाना अपराध है? क्या हमारे लोकतंत्र में जनहित के लिए कोई जगह नहीं है?" नेता ने कहा कि वह राज्य सरकार की कार्यशैली का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया, "हमारी मांगें पूरी होने तक मेरा आमरण अनशन जारी रहेगा."सपा नेता ने 31 अक्टूबर को सरकार को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि अगर उनके निर्वाचन क्षेत्र में सड़कों के निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ, तो वह इस्तीफा दे देंगे.
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर 2017 के विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. बता दें कि गौरीगंज से दो बार के विधायक सिंह ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो सड़कों का निर्माण नहीं होने पर राज्य सरकार से नाराज थे. इसके बाद नेता जीपीओ में धरने पर बैठ गए थे.
सिंह ने कहा, "यह निरंकुश सरकार लोगों की आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमारी लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी.""मैं भूख हड़ताल पर था और पहले दिन से, लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहा था, लेकिन जबरन ग्लूकोज ड्रिप पर डाल दिया गया."सिंह ने दावा किया, "ना तो मैंने और ना ही मेरी पार्टी के सदस्यों ने सामाजिक संतुलन बिगाड़ा. लेकिन पुलिस मुझे जबरन सिविल अस्पताल ले आई."
राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए, सिंह ने कहा, "क्या लोगों के लिए आवाज उठाना अपराध है? क्या हमारे लोकतंत्र में जनहित के लिए कोई जगह नहीं है?" नेता ने कहा कि वह राज्य सरकार की कार्यशैली का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया, "हमारी मांगें पूरी होने तक मेरा आमरण अनशन जारी रहेगा."सपा नेता ने 31 अक्टूबर को सरकार को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि अगर उनके निर्वाचन क्षेत्र में सड़कों के निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ, तो वह इस्तीफा दे देंगे.
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर 2017 के विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. बता दें कि गौरीगंज से दो बार के विधायक सिंह ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो सड़कों का निर्माण नहीं होने पर राज्य सरकार से नाराज थे. इसके बाद नेता जीपीओ में धरने पर बैठ गए थे.