साईं बाबा के भक्तों को परेशान होने की जरूरत नहीं,  प्रबंधन ने कहा- 19 जनवरी को खुला रहेगा मंदिर
शिरडी के साईं बाबा ( photo credit- sai.org.in)

नासिक:- शिरडी के साईं बाबा (Sai Baba Shirdi) को एक चमत्कारी पुरुष और भगवान का स्वरुप माना जाता है. साईं बाबा के आगे आज दुनिया नतमस्तक है. हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए शिरडी दर्शन करने आते हैं. साईं बाबा का धाम एक बार फिर से सुर्खियों में है इस बार वजह चमत्कार से नहीं बल्कि महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के एक बयान से है. दरअसल सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने औरंगाबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि साईं बाबा का जन्म परभणी जिले के नजदीक पाथरी गांव (Pathri) में हुआ था. उद्धव ठकारे ने कहा था कि पाथरी में 100 करोड़ रुपए का विकास काम करेंगे और उसे अमल में लाया जाएगा. उद्धव के इस बयान के बाद सियासी रंग ले चूका है.

वहीं यह भी खबर सामने आई कि इस विवाद के कारण पहली बार शिरडी साईं ट्रस्‍ट ने मंदिर को रविवार से बंद करने का फैसला किया है. इसपर एसएसटीएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक मुगलिकर ने कहा कि ये सारी बातें एक अफवाह हैं. शिरडी साईं संस्थान की तरफ से कोई भी फैसला नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि 19 जनवरी के दिन मंदिर अपने नियमित समय के अनुसार खुला रहेगा. उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया हाउस में आई बंद की खबरों का वे खंडन करते हैं. यह भी पढ़ें:- शिरडी में भक्तों का दावा- साक्षात दिखें साईं बाबा, 2 दिन से मंदिर के कपाट नहीं हुए बंद: देखें चमत्कार.

गौरतलब हो कि मान्यता के अनुसार साईं बाबा का जन्म 28 सितम्बर 1835 को महाराष्ट्र के पथरी नामक गांव में हुआ था. यही कारण है कि हर साल 28 सितंबर को देश भर में साईं भक्त बड़ी आस्था के साथ बाबा का जन्मदिन मनाते हैं. साईं बाबा के माता-पिता और उनके असली नाम के बारें में किसी को नहीं पता. कहते हैं कि लगभग 16 साल की आयु में साईं अहमदनगर, महाराष्ट्र के शिरडी ग्राम में पहुंचे और वहीं बस गए. बाबा ने फकीरों के रूप में अपना जीवन व्यतीत किया.

शिरडी साईंबाबा मंदिर को 2019 में दान मिले 287 करोड़ रुपये

श्री साईं बाबा मंदिर के प्रबंधन का दायित्व संभाल रहे संस्थान ट्रस्ट (एसएसएसटी), शिरडी के प्रबंधन को इस वर्ष दान में 287 करोड़ रुपये मिले हैं. एक जनवरी से 31 दिसंबर तक विभिन्न रूपों में दान लगभग 287 करोड़ रुपये मिला है. यह पिछले साल के कैलेंडर वर्ष में मिले कुल 285 करोड़ रुपये से अधिक है. वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे शीर्ष वीवीआईपी सहित दुनियाभर के एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने सालभर के उत्सवों को में हिस्सा लिया था.