मुंबई: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के कबिनेट की शपथ के कुछ दिन बाद ही राज्य की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल हुई है, शिवसेना-कांग्रेस और एनसपी की सरकार बनने के बाद मंत्री बनाने में 1 महीने से अधिक का समय लग गया. बीते तीस दिसंबर को उद्धव सरकार की मंत्रिममंडल का विस्तार हुआ था, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के पांचवें दिन ही इसे लेकर नाराजगी सामने आने लगी. शिवसेना कोटे से राज्य मंत्री बने अब्दुल सत्तार (Abdul Sattar) ने इस्तीफा दे दिया. अब्दुल सत्तार के इस्तीफे पर शिवसेना (Shiv Sena) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है, "पार्टी में अब्दुल सत्तार का पूरा सम्मान किया गया है, वे नाराज क्यों है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है."
संजय राउत ने कहा, कैबिनेट में कोई मतभेद नहीं हैं. यदि कुछ मंत्री इस्तीफा देते हैं तो सामान्य रूप से इस्तीफा सीएम या राजभवन को भेज दिया जाता है, अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय या राजभवन से इसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है. संजय राउत ने कहा, वह पहली बार पार्टी में आए हैं, फिर भी अब्दुल सत्तार को मंत्रिमंडल मे हमने एडजेस्ट किया.
अब्दुल सत्तार के इस्तीफे पर बोले संजय राउत-
Sanjay Raut,Shiv Sena on reports that Shiv Sena's Abdul Sattar is unhappy and has resigned as Maharashtra minister: There are no differences in cabinet. If some minister resigns then normally resignation is sent to CM or Raj Bhawan, but both have no information about it yet pic.twitter.com/4GZTs7Q4YO
— ANI (@ANI) January 4, 2020
संजय राउत ने कहा, कोई भी विभाग बड़ा या छोटा नहीं होता है. राउत ने यह भी कहा कि, उन्हें भरोसा है कि अब्दुल सत्तार शिवबंधन नहीं छोड़ेंगे.' बीजेपी पर तंज कसते हुए संजय राउत ने कहा, वे 5 साल तक विपक्ष में रहेंगे. रिपोर्ट्स की माने तो राज्यमंत्री अब्दुल सत्तार (Abdul Sattar) ने नाराज होकर अपना इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज होकर अब्दुल सत्तार ने इस्तीफा दिया है. अब्दुल सत्तार को शिवसेना (Shiv Sena) कोटे से ही मंत्री बनाया गया था.
अब्दुल सत्तार के इस्तीफे पर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा है, अब्दुल सत्तार का इस्तीफा उद्धव सरकार के पतन की शुरूआत है, इस्तीफा इसलिए हुआ क्योंकि सभी को मलाईदार मंत्रालय चाहिए.उन्होंने कहा कि अब्दुल सत्तार के साथ विश्वासघात हुआ.