राजस्थान में जारी राजनीतिक उथल-पुथल मचा हुआ है. इस बीच सचिन पायलट ने अपने ऊपर बीजेपी में जाने के लिए पैसों की पेशकश करने के आरोप लगाने वाले कांग्रेस के विधायक गिरिराज सिंह मिलिंग को कानूनी नोटिस भेजा है. सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने अपने वकील के जरिए कांग्रेस विधायक गिरिराज सिंह (Giriraj Singh Malinga) को कानूनी नोटिस दिया है. पायलट ने नोटिस में झूठे और तुच्छ आरोप लगाने के लिए 7 दिनों के अंदर 1 रुपये की राशि और प्रेस के सामने लिखित माफी की मांग की है. इस दौरान 35 करोड़ का ऑफर दिया गया था. सचिन पायलट ने कहा है कि विधायक मलिंगा ने उनके खिलाफ झूठे बयान दिए. सचिन पायलट ने कहा कि मैं इस तरह के आरोपों सो दुखी हूं, लेकिन हैरान नहीं हूं. उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप मेरी छवि को खराब करने के लिए लगाए जा रहे हैं.
दरअसल सोमवार को सोमवार को आरोप लगाया था कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने उनसे पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाने के बारे में चर्चा की थी. विधायक मलिंगा के अनुसार इस दौरान पायलट ने उनसे कहा था, बीजेपी में चलना है पार्टी छोड़नी है. मलिंगा के अनुसार इस दौरान पायलट ने पैसों की भी चर्चा की और कहा गया कि आप मुंह तो खोलो जितना चाहोगे पैसा मिलेगा. यह पूछे जाने पर कि इस बात का क्या सबूत हैं, इस पर मलिंगा ने कहा, अगर मेरी बात झूठी है तो पायलट आकर कह दें कि मैं झूठ बोल रहा हूं बाकी मैं तो मंदिर में जाकर भी यह बात कह सकता हूं. यह भी पढ़ें:- Rajasthan Political Crisis: सीएम अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर निकाली जमकर भड़ास, निकम्मा-नाकारा तक कह डाला.
ANI का ट्वीट:-
Sachin Pilot, through his counsel, serves legal notice to Congress MLA Girraj Singh who alleged that Pilot offered him Rs 35 Cr to cross vote in Rajya Sabha polls. Notice demands a sum of Re 1 & written apology before Press for issuing "false & frivolous allegation" within 7 days pic.twitter.com/HTO3rJDpDl
— ANI (@ANI) July 22, 2020
अदालत पर टिकी हैं निगाहें
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक लड़ाई के बीच, सभी निगाहें अब राजस्थान हाईकोर्ट पर टिकी हैं. कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि अदालत का फैसला जिस किसी के भी पक्ष में जाता है, तो उस खेमे में सौदेबाजी के मामले में दूसरे पर बढ़त होगी, हालांकि अशोक गहलोत के पास बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा में आवश्यक संख्या है. वहीं फैसला विपरीत आने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं.