नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी, आरएसएस भारत में फेसबुक और वॉट्सऐप को नियंत्रित करते हैं. वे इसके माध्यम से फर्जी खबरें और नफरत फैलाते हैं. साथ ही इसका इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए करते हैं. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा है.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'बीजेपी और आरएसएस का भारत में फेसबुक और वॉट्सऐप पर कब्जा है. वे इसके जरिये फेक न्यूज और नफरत फैलाने का काम करते हैं. वे इसका इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए करते हैं.' आखिरकार, अमेरिकी मीडिया फेसबुक की सच्चाई सामने लेकर आई है. यह भी पढ़ें- Facebook Ignored Hate Speech by BJP: WSJ की रिपोर्ट के बाद भारत में फेसबुक के नियमों पर राजनीतिक बहस शुरू, असदुद्दीन ओवैसी, दिग्विजय सिंह, शशि थरूर ने कही ये बात.
राहुल गांधी का ट्वीट
BJP & RSS control Facebook & Whatsapp in India.
They spread fake news and hatred through it and use it to influence the electorate.
Finally, the American media has come out with the truth about Facebook. pic.twitter.com/Y29uCQjSRP
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 16, 2020
बता दें कि द वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट के बाद भारत में फेसबुक के नियमों को लेकर बहस शुरू हो गई है. रिपोर्ट के बाद से विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर हो गया है. आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए अपने ट्वीट में लिखा, 'अलग-अलग लोकतंत्रों में फेसबुक के अलग-अलग मानक क्यों हैं? यह किस तरह का निष्पक्ष मंच है?
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी निदेशक अंखी दास (Ankhi Das) ने अपने स्टाफ को कथित तौर पर बताया है कि बीजेपी नेताओं को हिंसा के लिए दंडित करने से 'कंपनी की भारत में बिजनेस संभावनाओं को नुकसान हो सकता है.'
रिपोर्ट में तेलंगाना से भाजपा विधायक टी राजा सिंह के हेट मैसेज का उल्लेख किया गया है, जिसमें वह कथित तौर पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का आह्वान कर रहे हैं. फेसबुक के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि अंखी दास का इस मामले में दखल कंपनी के सत्ताधारी पार्टी के साथ पक्षपात के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है.