नई दिल्ली: 22 जुलाई, 1947 को तिरंगे को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था, यानि आज का दिन देश के लिए महत्वपूर्ण हैं. इस मौके पर राहुल गांधी ने केंद्र को निशाना बनाते हुए पूछा है कि, "सिर्फ प्रचार में डूबे ये लोग चंद सवालों का दें जवाब, 52 सालों तक आरआरएस ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा क्यों नहीं फहराया? खादी से राष्ट्रीय ध्वज बनाने वालों की आजीविका को नष्ट क्यों किया जा रहा है? चीन से मशीन निर्मित, पॉलिएस्टर झंडे के आयात की अनुमति क्यों दी गई?" अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन से रेलवे को 259.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
राहुल गांधी ने कहा, देश की शान है, हमारा तिरंगा, 75 साल पहले, 22 जुलाई 1947, यानी आज ही के दिन, तिरंगे को हमारे राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता दी गई थी. हमारे तिरंगे में केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग सच्चाई, शांति और पवित्रता की निशानी और हरे रंग को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है. सफेद रंग पर बने अशोक चक्र की 24 तीलियों का भी एक विशेष मतलब है, ये तीलियां इंसान के 24 गुणों को दर्शाती हैं. तिरंगे से जुड़ी एक अहम बात ये भी है कि तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए.
जिस तिरंगे के लिए हमारे देश के कई लोग शहीद हुए, उस तिरंगे को एक संगठन ने अपनाने से मना कर दिया, 52 सालों तक नागपुर में अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया, लगातार तिरंगे को अपमानित किया गया और आज उसी संगठन से निकले हुए लोग तिरंगे का इतिहास बता रहे हैं, 'हर घर तिरंगा' मुहिम की योजना बना रहे हैं.
देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से 13 अगस्त से 15 अगस्त के बीच अपने-अपने घरों में राष्ट्रध्वज फहराकर 'हर घर तिरंगा' मुहिम को मजबूत करने की शुक्रवार को अपील की. मोदी ने ट्वीट के जरिए कहा कि, यह मुहिम तिरंगे के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा करेगी. उन्होंने उल्लेख किया कि 22 जुलाई, 1947 को ही तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया था.