Monsoon Session 2021: संसद का मॉनसून सत्र आज से, विपक्ष ने बनाई मोदी सरकार को घेरने की रणनीति- केंद्र ये 17 नए विधेयक करेगी पेश
संसद (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच संसद का आज यानी सोमवार से मानसून सत्र शुरू हो रहा है. इस सत्र के हंगामेदार रहने की पूरी संभावना है. कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के तरीके, किसान आंदोलन, महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि जैसे विभिन्न मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने तैयारी की है. जबकि मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र के दौरान कई विधेयकों को पारित कराने के एजेंडे के साथ सदन में जाएगी. वहीं, विपक्ष भी कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के तरीके, ईंधन की कीमतों में वृद्धि और किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है. संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक चलेगा. विद्युत (संशोधन) विधेयक का संसद में विरोध करेगी आप: संजय सिंह

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 20 जुलाई को संसद के दोनों सदनों- राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को महामारी के मुद्दे पर संबोधित करेंगे. जोशी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सर्वदलीय बैठक में कहा कि सरकार संसद में विभिन्न मुद्दों पर उपयोगी चर्चा करने के पक्ष में है. बाद में जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने सदन में विभिन्न दलों के नेताओं से कहा कि देश की स्वस्थ लोकतंत्र की परंपरा, लोगों से जुड़े मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से उठाया जाना चाहिए और सरकार को इन चर्चाओं पर प्रतिक्रिया देने का विकल्प देना चाहिए.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसा सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार करना सबकी जिम्मेदारी है और जनप्रतिनिधियों को जमीनी स्तर की जानकारी होती है, इसलिए ऐसी चर्चाओं और निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी उसे समृद्ध बनाती है. सर्वदलीय बैठक में कुल 33 पार्टियों के नेताओं ने हिस्सा लिया.

सरकार को घेरने की अपनी रणनीति के तहत कई विपक्षी दल किसानों के मुद्दे को लेकर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव लाने की योजना बनाई हैं. सरकार द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक के बाद विपक्षी दलों ने संसद में रणनीति पर चर्चा के लिए अलग से बैठकें कीं. विपक्षी दल की बैठक के बाद आरएसपी नेता एन. के. प्रेमचन्द्रन ने बताया कि विभिन्न विपक्षी पार्टियां किसानों के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव लाएंगी. विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ((माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), आईयूएमएल, आरएसपी, शिवसेना और आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने हिस्सा लिया.

वहीं, विपक्ष कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की कथित कमी और राज्यों को टीके के वितरण के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है. विपक्ष पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर भी सरकार से जवाब मांगेगा. इसके साथ ही किसान आंदोलन का मुद्दा भी संसद में उठेगा. किसान यूनियन पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में और अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

सरकार ने इस सत्र के दौरान 17 नये विधेयकों को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया है. इन बिलों में इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) में बदलाव शामिल हैं - सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए पूर्व-पैकेज्ड रिजॉल्यूशन योजनाओं को सक्षम करने वाले अध्यादेश की जगह और कॉपोर्रेट देनदारों को परेशानी से जूझ रही कंपनियों के लिए एक समाधान योजना का प्रस्ताव करने की अनुमति देना जैसे मुद्दे शामिल हैं. इसके अलावा, केंद्र सरकार बीमा कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने वाली बीमा विधेयक भी पेश करने वाली है. हालांकि, बहुप्रतीक्षित क्रिप्टोकुरेंसी विधेयक में फिर देरी हुई है और यह मौजूदा सत्र के लोकसभा बुलेटिन में सूचीबद्ध नहीं है.

इनमें से तीन विधेयक हाल में जारी अध्यादेशों के स्थान पर लाए जाएंगे. इनमें से एक अध्यादेश 30 जून को जारी किया गया था जिसके जरिये रक्षा सेवाओं में शामिल किसी के विरोध प्रदर्शन या हड़ताल में शामिल होने पर रोक लगाई गई है. आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021 आयुध फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के प्रमुख संघों द्वारा जुलाई के अंत में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी देने की पृष्ठभूमि में लाया गया है. संबंधित संघ ओएफबी के निगमीकरण के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं.

लोकसभा द्वारा 12 जुलाई को जारी बुलेटिन के मुताबिक अध्यादेश का स्थान लेने के लिए आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 को सूचीबद्ध किया गया है. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग-2021 अन्य विधेयक है जो अध्यादेश की जगह लाया जाएगा.