देश में आम चुनावों का बिगुल बज गया है और सियासी सरगर्मी तेज हो गई हैं. इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे. पहले चरण के लिए 11 अप्रैल को वोटिंग होगी तो वहीं 7वें फेज के लिए 19 मई को वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजे 23 मई को घोषित होंगे. चुनावों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लागु हो गई हैं. आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद सरकार न तो कोई नीतिगत निर्णय ले सकती है और न किसी नई परियोजना की घोषणा ही कर सकती है. वैसे मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के लोकसभा चुनाव 2019 का कार्यक्रम घोषित करते ही तमाम सियासी दल भी एक्टिव हो गए हैं. सभी सियासी दल नए समीकरण बनाने में जुट गए हैं.
तकरीबन ढाई महीने तक चलने वाली इस चुनावी प्रक्रिया में वोटर्स के सामने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले गठबंधन को दोबारा चुने या फिर किसी दूसरे किसी फ्रंट के नेता को चुनने का विकल्प को चुने. वैसे अनुमान लगाया जा रहा है कि किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा ऐसे में इन 3 नेताओं की भूमिका बेहद अहम होगा. ये तीनों नेता किसी भी गठबंधन से जुड़े नहीं हैं मगर अपने राज्य में काफी मजबूत हैं.
केसीआर:
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को तेलंगाना की जनता का अच्छा समर्थन हासिल है. राज्य में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन और बीजेपी का सूपड़ा साफ़ कर दिया था. तेलंगाना में टीआरएस ने 119 में से 88 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस जीत के साथ सूबे में उनका कद बढ़ा है. वैसे उन्हें तेलंगाना का जनक भी कहा जाता है और लोकसभा की 17 सीटों में भी उनकी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन करने के आसार है. क्योंकि, इन्होने किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है ऐसे में गर चुनावों के बाद किसी भी फ्रंट को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो इनकी अहमियत बढ़ जाएगी.
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जगनमोहन रेड्डी:
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने भी लोकसभा चुनावों के लिए किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं किया है. सियासी पंडितों की माने तो उनकी पार्टी के इन लोकसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन करने के अनुमान है. सूबे में 25 लोकसभा सीट हैं अगर जगनमोहन रेड्डी की पार्टी को समर्थन मिलता हैं तो वह केंद्र में सरकार बनाने वाले फ्रंट के आंखों के तारे बन जाएंगे.
नवीन पटनायक:
नवीन पटनायक 19 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज हैं. 2014 आम चुनावों में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने 21 में से 20 सीटों में जीत दर्ज की थी. इस बार हालांकि बीजेपी सूबे में तेजी से उभर रही हैं और पीएम मोदी की लोकप्रियता बढ़ी हैं. मगर फिर भी लोकसभा चुनावों के बाद नवीन पटनायक की भूमिका काफी अहम होगी.
बता दें कि इस चुनाव में मतदाताओं की संख्या लगभग 90 करोड़ होगी, जो 2014 के 81.45 करोड़ से अधिक है. इसमें से कोई 1.50 करोड़ पहली बार मतदाता बने हैं, जिनकी उम्र 18-19 साल है. चुनाव के लिए सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ वीवीपैट इस्तेमाल किए जाएंगे.