कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और बहुमत से वह आठ सीट पीछे है. कांग्रेस 78 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर और 38 सीटों के साथ जनता दल (सेक्युलर) तीसरे स्थान पर है. चुनाव के इन नतीजों के साथ कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति सामने आई है. स्थिति कुछ ऐसी बनी हुई है की पल-पल स्थिति बदल रही है. तीनों राजनितिक पार्टियों के वरिष्ठ नेता कर्नाटक में बने हुए हैं .
बीजेपी, कांग्रेस-जेडीएस सभी सूबे में सरकार बनाने का दम भर रहे हैं. ऐसे में सभी की निगाहें कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला पर टिकी हैं. बता दें कि वजुभाई वाला वहीं नेता हैं जिन्होंने 2001 में मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी सीट छोड़ी थी.
कौन है वजुभाई वाला:
- कर्नाटक में सत्ता की चाबी अपने पास रखने वाले गुजरात के वजुभाई वाला ने अपना सियासी सफर 1971 में RSS से शुरू किया था. संगठन से वह 57 साल तक जुड़े रहे. बाद में वह जन संघ पार्टी से जुड़े और इमरजेंसी के दौरान 11 महीनों के लिए उनको जेल की हवा भी खानी पड़ी.
- वजुभाई गुजरात सरकार में वह 1997 से 2012 तक कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. उन्हें गुजरात का वित्त मंत्री भी बनाया गया था. 18 बार बजट लाने का अनोखा रिकॉर्ड भी उनके नाम है. वजुभाई राजकोट पश्चिमी से विधायक चुने जाते थे. वह 2012 से 2014 तक गुजरात विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं. राज्यपाल वजुभाई वाला को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद करीबी माना जाता है.
- 2001 में जब केशुभाई पटेल को हटा कर नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री का पद देने की बात आयी, उस समय मोदी कहीं से भी विधायक नहीं थे, ऐसे कठिन समय में राजकोट की अपनी सीट नरेंद्र मोदी के लिए त्याग देने वाले विजुभाई वाला ही थे. वजुभाई वाला तीन बार गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष भी चुने जा चुके हैं.
- 1980 में जब वह राजकोट के मेयर थे, तब शहर में कम बारिश की वजह से पानी कम पड़ने लगा था तब वजुभाई वाला ने ट्रेन से पानी मंगवाया था, उस समय से उन्हें ' पानीवाला मेयर ' के नाम से भी जाना जाता है.
सियासी पंडितों का मानना है की PM नरेंद्र मोदी के करीबी होने के नाते उन्हें 2014 में कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया था.